देश की रक्षा में भूतपूर्व सैनिकों का अमूल्य योगदान, जानें क्या है सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस का इतिहास
Armed Forces Veterans Day : देश की रक्षा के लिए सैन्यकर्मी अपनी जान लगा देते हैं. परिवार से दूर, कठोर सैन्य कानून, जटिल लोकेशन में नौकरी करना सैनिकों की मजबूरी है. सेवानिवृति के बाद वे नियमित रूप से हमारे बीच रहते हैं. सेवानिवृत सैन्य कर्मियों के योगदान को याद करने के लिए सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..
हैदराबाद : भारतीय सेना के प्रथम भारतीय कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा 1947 के युद्ध के हीरो थे. भारतीय सेना को जीत दिलाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था. 14 जनवरी को 1953 को वे भारतीय सेना से औपचारिक रूप से रिटायर्ड हुए. 14 जनवरी 2016 को पहली बार उनके सम्मान सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस (Armed Forces Veterans Day) मनाया गया था. इसके बाद से हर साल इस दिवस का आयोजन किया जाता है. इस साला 8वां आयोजन है. एक तरह से यह दिवस सेवानिवृत सैनिकों और उनके परिवार के लिए हर साल इस दिवस का आयोजन किया जाता है.
सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस की पृष्ठभूमिः
सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, क्योंकि यह वह दिन है जब भारतीय सशस्त्र बलों के पहले कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करियप्पा सेवानिवृत्त हुए थे.
इस दिन सशस्त्र बलों में दिग्गजों के योगदान का सम्मान करने और देश के लिए उनके बलिदान को पहचानने के लिए चुना गया है.
आयोजन में मुख्य रूप से थल सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख उपस्थित होते हैं.
सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस पहले युद्धविराम दिवस के रूप में मनाया जाता था.
सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक से जुड़े तथ्य
सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है.
इसी दिन 1953 में भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करियप्पा सेवानिवृति हो गये.
साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ 1947 के युद्ध में विजय प्राप्त करने वाले सैनिक औपचारिक रूप से ज्यादातर सेवाओं से सेवानिवृत्त हो गए.
बहादुर दिल पूर्व सैनिकों के निस्वार्थ कर्तव्य और राष्ट्र के प्रति उनके बलिदान के सम्मान और उनके परिजनों के प्रति एकजुटता के प्रतीक के रूप में यह दिवस मनाया जाता है.
इस दौरान पूर्व सैनिकों व उनके परिजनों के प्रति प्रतिबद्धता और एकजुटता को मजबूत करने के लिए पूरे देश में कई स्थानों पर "पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया जाता है.
इस अवसर पर देहरादून, दिल्ली, जालंधर चंडीगढ़, झुंझुनू, पानागढ़, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता सहित अन्य जगहों पर बहादुर सैनिकों के सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
भारत में अनुमानित रूप से 60,000-70,000 सशस्त्र बल कर्मी हर साल सेवानिवृत्त होते हैं या सक्रिय सेवा से मुक्त हो जाते हैं, जिनमें से अधिकांश की उम्र 40 के आसपास होती है.
सेवानिवृत सैनिक जिनका निधन हो गया है, उन्हें इस दौरान श्रद्धांजलि दिया जाता है.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जुलाई 2019 से ओआरओपी के तहत “सशस्त्र बल पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों की पेंशन में संशोधन को मंजूरी दे दी.
पिछले पेंशनभोगियों की पेंशन समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक में कैलेंडर वर्ष 2018 के रक्षा बलों के सेवानिवृत्त लोगों की न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के आधार पर फिर से तय किया जायेगा.
भारतीय सैनिक ने अपने प्रतिष्ठित सेवा अनुशासन को सेवानिवृत्त जीवन में अपनाया है और सामान्य आधिकारिक चैनलों के माध्यम से व्यक्तिगत मुद्दों और समस्याओं को उठाते हैं.
दिग्गजों की चिंताओं के बारे में सार्वजनिक दृष्टिकोण: आज भी साक्षर जनता का एक बड़ा वर्ग, विशेष रूप से जनप्रतिनिधि, सैनिकों की कामकाजी परिस्थितियों से अनभिज्ञ हैं - जल्दी सेवानिवृत्ति, गैर-पारिवारिक स्टेशन और लंबे अलगाव, जीवन के लिए खतरनाक तनावपूर्ण स्थितियां, जमीन पर जोखिम और मैदान में, उच्च हताहत दर, सैन्य कानून के तहत सख्त अनुशासनात्मक व्यवस्था उनके जीवन की बड़ी चुनौती है.