लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 2017 से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है. इसी साल समाजवादी पार्टी को पराजय का मुंह देखना पड़ा था. ये बात और है कि हार के बावजूद अखिलेश यादव के कार्यों की लोगों ने सराहना भी की.
विश्लेषकों ने कहा कि हिंदुत्व की लहर और समाजवादी पार्टी में पारिवारिक कलह पार्टी की पराजय की वजह बनी. इस चुनाव को चार साल बीतने को हैं, चाचा शिवपाल और अखिलेश में दूरियां अभी भी बनी हुई हैं. इन सब समीकरणों से इतर इसी परिवार से एक सुखद खबर भी आई.
मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव एक युवा नेता और प्रखर वक्ता के रूप में सामने आईं. उन्होंने हमेशा रिश्तों की मर्यादा को समझा और विवादों से बची रहीं. इंटरनेशनल विमेंस-डे पर 'ईटीवी भारत' ने अपर्णा यादव से उनकी अभिरुचि, राजनीति और समाज सेवा से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की. अपर्णा यादव ने बेबाकी से सवालों का जवाब दिया.
प्रश्न- आपने लॉकडॉउन में समाज सेवा के तमाम कार्य किए हैं. आप सामाजिक सरोकारों को लेकर हमेशा मुखर रही हैं. महिलाओं और समाज को लेकर आपकी क्या राय है?
उत्तर- मुझे लगता है कि महिला के बिना ये जगत ही अधूरा है. समाज में महिलाएं अपना दायित्व जिस तरह से निभा रही हैं, उन्हें सामाजिक और राजनीतिक संरक्षण मिलना चाहिए. परिवार में भी अवसर मिले ताकि वो आजादी से अपना जीवन जी सकें.
प्रश्न- आप पर एक मां, पत्नी, बेटी और बहू का दायित्व है. समाज सेवा और राजनीति में भी आप सक्रिय हैं. ये कैसे हो पाता है ?
उत्तर- मुझे लगता है कि महिलाएं बहुआयामी होती हैं. जैसे हम अपनी बेटी से अपेक्षा करते हैं. जैसी परवरिश होती है, वो सब करने में सक्षम हो पाती हैं. महिला में वैसे भी पुरुष से ज्यादा सहनशीलता और क्षमा करने की शक्ति होती है.
रामायण में राम का शील सीता हैं. सीता के बलिदान के बिना राम की विजय संभव नहीं लगती. हमें यहीं से सीख मिलती है. हर महिला में ये गुण है. मेरे पति बहुत सपोर्ट करते हैं. किसी भी महिला का काम बिना पति के सहयोग से नहीं हो सकता. प्रतीकजी मेरी गैर हाजिरी में बच्चों का ध्यान रखते हैं और उनकी अनुपस्थिति में मैं. परिवार के तालमेल से ही यह संभव हो पाता है.
प्रश्न- आपने चुनाव लड़ा. राजनीतिक उठापटक देखी. परिवार में भी विवाद हुए. लेकिन आप विवादों से सदा दूर रहीं. बाहर ही आप इतनी कूल हैं या घर में भी ऐसे ही रहती हैं?
उत्तर- आपके स्वभाव में यदि क्षमा है, तो आप कहीं न कहीं हरि यानी भगवान के निकट और कृपा पात्र हैं, इसलिए लोगों को क्षमा करें और उनकी समस्या को अपनी मत बनने दें. मैं यही करती हूं. अपने जीवन और वाणी में शालीनता रखती हूं.
प्रश्न- आप इतने बड़े राजनीतिक परिवार से हैं. आप अपना राजनीतिक भविष्य कहां देखती हैं?
उत्तर- नेताजी के आशीर्वाद से अभी तक मैं अपना राजनीतिक भविष्य अच्छा ही देखती हूं. उन्होंने सच्चाई के साथ संगठन शुरू किया और अपना पूरा जीवन लगा दिया. अभी तक उसी का झंडा बुलंद किया है. वही मेरे राजनीतिक गुरु हैं.
उन्हीं से मैंने सीखा है कि पर्चा, चर्चा व खर्चा. इसकी गांठ बांध लें. जिसे राजनीति में आगे बढ़ना है उसे इसका ध्यान रखना होगा. लोग नेम-फेम के लिए राजनीति में आते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. इसलिए मुझे लगता है कि मेरा राजनीतिक भविष्य जो भी होगा, अच्छा ही होगा.
प्रश्न- समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी. दोनों ही आपकी पार्टियां हैं. कहीं दुविधा है आपको राजनीति में?
उत्तर- दुविधा की कोई बात ही नहीं है. दोनों विचारधाराएं समाजवाद से ही निकली हैं. 2016-17 में जिस प्रकार का द्वंद परिवार में हुआ वो सबको पता है. समाजवाद को बढ़ाने के लिए दोनों लोगों ने अपनी-अपनी राह चुन ली है.
प्रश्न- आपने कौन सी राह चुनी है ?