आगराःभारतीय वायुसेना (Indian Air Force) अब देश के दुर्गम क्षेत्रों में हैवी ड्रॉप सिस्टम (Parachute) से 16 टन वजनी हथियार या अन्य साजो सामान जमीन पर उतार सकेगी. आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) ने स्वदेशी हैवी ड्रॉप सिस्टम यानी पैराशूट और स्वदेशी प्लेटफार्म सिस्टम विकसित किया है.
एडीआरडीई के विकसित किए हैवी ड्रॉप सिस्टम से गुरुवार को वायुसेना ने आगरा के मलपुरा स्थित ड्राॅपिंग जोन में सी-17 ग्लोब मास्टर विमान से 16 टन वजनी प्लेटफार्म की सफल लैंडिंग कराने का सफल परीक्षण किया गया. इस प्लेटफार्म से 16 टन वजनी सामान गिराया गया. भारतीय वायुसेना की पश्चिमी कमान ने गुरुवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर सफल लैंडिंग ट्रायल के फोटो शेयर किए.
परीक्षण से पूर्व की तैयारी.
बता दें कि पीएम मोदी ने 'मेड इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' कैंपेन शुरू किए हैं. इनके परिणाम अब सामने आ रहे हैं. हर क्षेत्र में 'मेड इन इंडिया 'और 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत कार्य किए जा रहे हैं. इस मिशन के तहत ही भारतीय थल, जल और वायुसेना में भी तमाम इनोवेशन किए जा रहे हैं. स्वदेशी तकनीकि पर जोर दिया जा रहा है. जिससे भारत को युद्ध या अन्य स्थित के समय पर दूसरे देश पर निर्भर ना रहना पड़े.
भारतीय वायुसेना वजनी हथियारों को आसानी से पैराशूट की मदद से उतार सकेगी.
एडीआरडीई ने बनाया स्वदेशी हैवी ड्रॉप सिस्टम
पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत ही आगरा में रक्षा लैब एडीआरडीई ने स्वदेशी हैवी ड्रॉप सिस्टम पर काम शुरू किया. वैज्ञानिकों ने पांच पैराशूट सिस्टम का हैवी ड्रॉप सिस्टम तैयार किया है. इसकी मदद से किसी भी दुर्गम क्षेत्र में सेना को जरूरी साजो सामान पहुंचाया जा सकता है. एडीआरडीई के वैज्ञानिकों ने कई साल की मेहनत से स्वदेशी पांच पैराशूट सिस्टम और स्वदेशी टाइप-5 प्लेटफार्म विकसित किया है. एडीआरडीई अधिकारियों के मुताबिक, टाइप-5 हैवी ड्रॉप सिस्टम है. जिसकी मदद से किसी भी मौसम में 16 टन सामान को देश के किसी भी हिस्से में गिराया जा सकता है.
तीन चरण में हुआ सफल परीक्षण
आगरा के मलपुरा स्थित वायुसेना के ड्राॅपिंग जोन में तीन चरण में ये परीक्षण किया गया. पहले चरण में सी-17 ग्लोब मास्टर विमान से बाहर लोड की जांच की गई. दूसरे चरण में लोडिंग की जांच करके 16 टन वजनी प्लेटफार्म को ग्लोब मास्टर विमान में चढाया गया. इसके बाद तीसरे चरण में विमान ग्लोब मास्टर ने आसमान में उडान भरी. फिर आसमान से 16 टन वजनी प्लेटफार्म को विमान के पिछले हिस्से का दरवाजा खोलकर गिराया गया जिससे आसमान में ही पांच पैराशूट खुले. इसकी मदद से ड्राॅपिंग जोन में प्लेटफार्म का सफल परीक्षण किया गया. पहले सेना की दुर्गम क्षेत्रों में सात टन वजन तक के साजो सामान पहुंचाने की क्षमता थी जो अब बढकर 16 टन वजनी साजो सामान पहुंचाने की हो गई है.
सेना की बढ़ेगी ताकत
एडीआरडीई की ओर से विकसित किए गए टाइप-5 हैवी ड्रॉप सिस्टम के सफल परीक्षण से भारतीय सेना की ताकत और बढेगी. इससे भविष्य में किसी भी आकस्मिक स्थिति के समय सैन्य साजो सामान जल्द से जल्द सेना तक पहुंचाने में आसानी होगी. इस टाइप-5 प्लेटफार्म पर लादकर दुर्गम इलाकों में सेना के लिए टैंक से लेकर भारी वजन के सामान आसानी से युद्ध क्षेत्र में वायुयान से गिराए जा सकेंगे.
मिशन गगनयान के लिए भी एडीआरडीई ने बनाए पैराशूट
बता दें कि, आगरा के एडीआरडीई के वैज्ञानिक लगातार देश हित में नए नए इनोवेशन कर रहे हैं. डीआरडीओ के नेतृत्व में एडीआरडीई ने भारतीय सेना के लिए पैराशूट से लेकर गगनयान मिशन के पैराशूट बनाया है. गगनयान मिशन के मॉड्यूल के सफल परीक्षण में एडीआरडीई के बनाए पैराशूटों का अहम योगदान था. पाकिस्तानी सीमा पर निगरानी को एयरोड्रोम बनाने के साथ एडीआरडीई ने भारतीय रक्षा प्रणाली में समय समय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
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