रायपुर/ बस्तर:बस्तर संभाग में पिछले 22 साल में मुखबिरी का आरोप लगाकर 1700 लोगों को नक्सली मौत के घाट उतार चुके है. जल, जंगल और जमीन के नाम पर अपनों का ही खून बहता देख, हिंसा की राह पर चल रहे युवाओं का नक्सलियों से मोहभंग हो रहा है. आर्थिक सहायता से लेकर हर तरह की सुविधाएं दंतेवाड़ा में 'लोन वर्राटू' अभियान के तहत सरेंडर करने वालों को दी जा रही हैं. इसी का नतीजा है कि हर साल 400 से अधिक नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. बावजूद इसके बस्तर सहित संभागभर में नक्सली घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. दंतेवाड़ा में बुधावार को हुआ नक्सली हमला इसकी बानगी है. इस हमले में डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के 10 जवानों सहित एक नागरिक की जान गई है.
इलाके में चलाया जा रहा है तलाशी अभियान:बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा "10 डीआरजी जवानों और एक नागरिक चालक ने हमले में अपनी जान गंवा दी. उन सभी के शवों को मौके से निकाला जा रहा है. वरिष्ठ अधिकारी वहां मौजूद हैं. तलाशी अभियान जारी है."
युवाओं को गुमराह करते हैं बाहरी राज्यों के नक्सली लीडर्स :भाकपा माओवादी संगठन के ज्यादातर सीनियर लीडर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से आते हैं. ये लोग छत्तीसगढ़ के युवाओं को जल, जंगल और जमीन के नाम पर बरगलाते हैं. पिछले 22 साल के दौरान मुखबिर होने का आरोप लगागर इनसे जरिए 1700 से ज्यादा लोगों की हत्या करा दी गई. बहुत से इलाकों में न सड़क है न अस्पताल. स्कूल के साथ ही दूसरी बुनियादी सुविधाएं भी लोगों को नहीं मिल पा रहीं. माओवादियों का विकास विरोधी चेहरा देखने के बाद अब स्थानीय युवक हिंसा के रास्ते को छोड़ने लगे हैं.