सूरजपुर: जिले के भटगांव थाने क्षेत्र अंतर्गत डुमरिया गांव से 14 साल पहले लापता प्रमिला यादव पश्चिम बंगाल के आसरा नाम के अनाथ आश्रम में मिली. सूरजपुर जिले की प्रमिला यादव 14 साल पहले साल 2006 में दिमागी हालत खराब होने के कारण अपने घर से अचानक निकल गई थीं. इसके बाद घरवालों के बहुत ढूंढने पर भी प्रमिला नहीं मिली. इस पर पति दुलेश्वर यादव ने थाना भटगांव में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन कहीं पता नहीं चलने पर पति ने हिम्मत नहीं हारी और पत्नी की तलाश लगातार करता रहा.
दुलेश्वर ने साइकिल में घूमकर-घूमकर अपनी पत्नी की तलाश की. वो न केवल छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में घूमा, बल्कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के सभी जिलों में अपनी पत्नी को ढूंढने में कोई कसर नहीं छोड़ी. दुलेश्वर के इतना ढूंढने पर भी उसकी पत्नी नहीं मिली और मिलती भी कैसे. वो पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में जा चुकी थी.
इंटरनेट से ढूंढा प्रमिला का घर
प्रमिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और कोलकाता के आसरा आश्रम में उसका इलाज चल रहा था. इस दौरान उसको सब कुछ याद आ गया, लेकिन उसे केवल अपने गांव का और अपने पति का नाम याद था. इसमें आश्रम में रहने वाली संचालिका तुलसी मायती ने इंटरनेट की मदद से डुमरिया गांव का पता ढूंढ निकाला. तुलसी ने चिट्ठी के जरिए प्रमिला के घरवालों को जानकारी दी. जिसकी सूचना घरवालों ने पुलिस को दी.
नहीं मालूम था अपने गांव का पता
आपको बता दें कि प्रमिला यादव के 5 बच्चे हैं. जिनकी शादी हो चुकी है. बचपन में ही मां का सहारा नहीं रहने पर बाप ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी पत्नी की तलाश भी करता रहा. वहीं उसकी खोई हुई पत्नी अपने घर परिवार से हजारों किलोमीटर दूर नए लोगों के बीच नए शहर और नई भाषा के साथ थी. उसे न अपने राज्य का नाम पता था न ही पति का और न ही अपने गांव का नाम पता था. ऐसे में प्रमिला आश्रय में रहने वाली बच्चियों की सेवा करने लगी.
अपनी भाषा भूल चुकीं थी प्रमिला