राजनांदगांव / खैरागढ़ :पांडादाह गांव भगवान जगन्नाथ मंदिर की वजह से प्रसिद्ध है. यह मंदिर छत्तीसगढ़ का पहला जगन्नाथ मंदिर है. जहां 125 सालों से पूजा-अर्चना की जा रही है. कोरोना की वजह से 125 साल से चला आ रहा रीति-रीवाज अब टूट गया है. कोरोना ने बलदाऊ के रथ के पहिए रोक दिए हैं. कोरोना की वजह से भगवान को मंदिर से बाहर नहीं निकाला गया है. वहीं गांव के लोग भी दर्शन नहीं कर पा रहे है, क्योंकि जहां भगवान जगन्नाथ का मंदिर है, उसे गांव को रथयात्रा के एक दिन पहले ही कंटेंनमेंट जोन में शामिल कर दिया गया है.
बता दें कि खैरागढ़ सिविल अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव पाई गई लैब टैक्निशीयन महिला पांडादाह की ही है. इस वजह से पूरे गांव को सील कर दिया गया है. वहीं प्रशासन ने गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है, जिसकी वजह से पुजारियों के अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति भगवान के दर्शन नहीं कर पाए. ऐसा पहली बार हुआ है, जब भगवान रथयात्रा के दिन बाहर न निकले हो.
रथ पर नहीं कांधे पर घूमाने की परंपरा
पांडादाह में भगवान जगन्नाथ की विरासत कालीन मंदिर है. जहां एक विशेष परंपरा अपनाई जाती है. यहां पर भक्त भगवान जगन्नाथ को अपने कांधे पर बैठकर मंदिर प्रांगण की पांच परिक्रमा करते है. वहीं सुबह सत्यनारायण पूजा संपन्न कराई जाती है. इसके बाद जगन्नाथ भगवान का स्नान और अभिषेक कर भक्तों के कांधों पर मंदिर की परिक्रमा करते हैं.