रायपुर : चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को चंद्रघंटा माता की पूजा करने का दिवस है. माता चंद्रघंटा, दानवों का और दैत्यों का नाश करने वाली देवी मानी जाती है. माता चंद्रघंटा का कुमकुम, मौली, रोली, अक्षत और पान से अभिषेक किया जाता है. सर्वप्रथम माता को शुद्ध गंगा, यमुना, सरस्वती नदी के जल से स्नान कराना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल साफ करके भगवती की पूजा करनी चाहिए.
माता चंद्रघंटा अपने हाथ में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा धारण करने वाली देवी हैं. उनके माथे पर अर्धचंद्र विराजमान हैं. इसलिए माता का नाम चंद्रघंटा पड़ा. माता को अक्षत, पुष्प सफेद, दूध से बने हुए पदार्थ, सेब और केला अर्पित किए जाते हैं.
माता चंद्रघंटा को कमल अर्पित करना शुभ :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "माता को पीले रंग का कमल या सफेद रंग का कमल चढ़ाना शुभ माना गया है. माता को सुनहरी चमकीली साड़ी अर्पित की जाती है. ओम चंद्रघंटा नमः या देवी सर्वभूतेषु माता चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमसस्तस्ये नमसस्तस्ये नमसस्तस्ये नमो नमः, इस महामंत्र का पाठ करना चाहिए. माता चंद्रघंटा भक्तों की कामनाएं पूर्ण करती है. श्वेत वस्त्र धारण करके माता चंद्रघंटा की उपासना करने पर देवी प्रसन्न होती है. आज के शुभ दिन पूरी तरह से सात्विक और सकारात्मक होकर जीवन जीना चाहिए."