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जीवन की सच्चाई का सार सिखाता है छत्तीसगढ़ी लोकगीत-चोला माटी के हे राम

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Published : Nov 10, 2019, 12:12 AM IST

गंगाराम शिवारे द्वारा लिखे गए इस गीत में जीवन की सच्चाई है. छत्तीसगढ़ी बोली में कवि ने इस दुनिया से मुक्ति का एक ही रास्ता बताया है और वो रास्ता है हरि के नाम का सुमिरन है. नाट्य कलाकार पूनम तिवारी के भरे गले और बरसती आंखों ने इस गीत को जैसे अमर कर दिया हो.

नाट्य कलाकार पूनम तिवारी

जीवन दर्शन, अंतिम सत्य, वो सच जो कभी न मिट सकता और न ही इसे कोई झुठला सकता है वो यही है कि एक दिन इस दुनिया को छोड़ कर सभी को जाना है. यही सिखाता है छत्तीसगढ़ी कवि गंगाराम शिवारे का लिखा गीत चोला माटी के हे राम

जब मां ने बेटे की अर्थी के सामने गाया चोला माटी के हे राम

गंगाराम शिवारे द्वारा लिखे गए इस गीत में जीवन की सच्चाई है, इसके शब्दों को अगर हम अपने जीवन में उतार लें शायद उम्मीद, ईर्ष्या, जलन, मोह जैसी तमाम चीजों से मुक्त हो सकते हैं. न उम्मीद हमें दुख दे सकती है और मोह की वजह से हम चिंता में घुल सकते हैं. न तो पैसा हमें दूसरों से दुर्व्यवहार सिखाता है और न अभिमान की वजह से किसी से शत्रुता हो सकती है. ये गीत बताता है कि जाना तो एक दिन सबको है, बारी एक दिन सबकी आनी है.

काल किसी को नहीं छोड़ता
ये गीत कहता है कि हमारा शरीर मिट्टी का है और इसी मिट्टी में मिल जाना है. फिर वह द्रोणाचार्य जैसे गुरु ही क्यों न हों या फिर बाली जैसा बलवान. काल के आगे सब नतमस्तक हो जाते हैं. थोड़े से धन और प्रतिष्ठा मिलने के बाद खुद को दूसरों से बड़ा समझकर दुर्व्यवहार करने वालों को ये गीत चेतावनी देता है कि काल किसी को नहीं छोड़ता चाहे वो राजा हो या भिखारी.

छत्तीसगढ़ की लोक कला के साथ आध्यात्मिक सुख
छत्तीसगढ़ी बोली में कवि ने इस दुनिया से मुक्ति का एक ही रास्ता बताया है और वो रास्ता है हरि के नाम का सुमिरन. इस तरह से दर्शन और अध्यात्म को समेटे यह गीत बताता है कि छत्तीसगढ़ की लोक कला में कितनी गहराई है. इनमें हमारे प्रदेश की लोक संस्कृति की छवि तो दिखती ही है साथ ही आध्यात्मिक सुख भी मिलता है.

इस गाने में हमें रामायण और महाभारत दोनों के पात्र का जिक्र करते हुए समझाने की कोशिश की गई है कि एक दिन हमे खाली हाथ की इस दुनिया से विदा लेनी होगी.

पूनम तिवारी से बना चर्चा का विषय
पिछले कई सालों से हबीब तनवीर के नाटकों में साथ ही बॉलीवुड फिल्म पीपली लाइव के माध्यम से यह गाना सभी ने सुना. लेकिन अब जिस वजह से ये गीत चर्चा का विषय बना वो वजह रुला देने वाली है. नाट्य कलाकार पूनम तिवारी के भरे गले और बरसती आंखों ने इस गीत को जैसे अमर कर दिया हो. बेटे के शव के पास बैठी एक मां, जो दुनिया को समझा रही है...जाना तो एक दिन सबको है...बारी तो एक दिन सबकी आती ही है...।
शायद यह चोला माटी के हे राम गाने की ताकत ही है जिसे पूनम ने कई बार गाया है तभी वे यह साहस जुटा पाई और अपने संगीतकार बेटे को इस तरह से संगीतमय विदाई दे पाई.

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