रायपुर:कोरोना काल में जहां लोग घरों में कैद थे, तो वहीं छत्तीसगढ़ की कुछ महिलाएं बैटल ग्राउंड में समाज सेवा में उतरी हुई थीं. ये महिलाएं लॉकडाउन से लेकर अब तक स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशासनिक क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही हैं. ETV भारत नवरात्रि के पावन पर्व पर छत्तीसगढ़ की ऐसी ही महिलाओं से आपकोरू-ब-रू करा रहा है. नवरात्र के चौथे दिन हम बात कर रहे हैं ऐसी शिक्षिका की, जिन्होंने इस महामारी के समय बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने दी. रायपुर की शिक्षिका कामिनी साहू सरकार के पढ़ाई तुंहर दुआर योजना के मोहल्ला क्लास का हिस्सा बनीं और बच्चों को पढ़ाने लगीं. उनके इस कार्य के लिए सरकार उन्हें राज्य रत्न सम्मान से नवाजने जा रही है.
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रायपुर के एनआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कामिनी ने किसी बड़ी कंपनी को ज्वाइन न करते हुए बच्चों को पढ़ाने का फैसला लिया. कामिनी बताती हैं कि उनका रुझान इस तरफ बढ़ने लगा और अब एक शिक्षिका बनकर उन्हें खुद पर गर्व होता है.
सवाल: लॉकडाउन के दौरान किस तरह का आपका काम रहा?
जवाब: सबसे पहले तो मैं शिक्षा विभाग का धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने पढ़ई तुंहर दुआर के जरिए मोहल्ला क्लास की शुरुआत की. मोहल्ला क्लास में लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई करवाने का सफल काम किया जा रहा है, जिसमें हम अपनी प्रतिभा दिखाते हुए सभी बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. इस समय छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में कदम उठाए जा रहे हैं. लॉकडाउन के समय में बच्चों को शिक्षित करने का बेहतर प्रयास किया जा रहा है. कोविड 19 के मुश्किल समय में हम बच्चों को ऑनलाइन क्लास भी दे रहे हैं और मोहल्ला क्लास के जरिए भी पढ़ा रहे हैं. जिज्ञासा प्रोजेक्ट के तहत डिजिटल संसाधनों के जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.