रायपुर: छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर राजधानी के महंत घासीदास संग्रहालय में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की ओर से एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई. प्राथमिक शिक्षा में छत्तीसगढ़ी को लागू करने, सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी बोलने-लिखने जैसे विषयों पर साहित्यकार और जानकारों ने अपने विचार रखे.
साहित्यकार मीर अली मीर ने बताया - छत्तीसगढ़ी बोलने से क्यों हिचकिचाते हैं छत्तीसगढ़िया
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करने जैसे विषयों को लेकर एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई.
कार्यक्रम में साहित्यकार और कवि मीर अली मीर ने बताया कि सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी का उपयोग करने के लिए और छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राजभाषा दिवस पर संगोष्ठी आयोजित की गई है.
'छत्तीसगढ़ी बोलने में हिचकिचाते हैं युवा'
उन्होंने बताया कि लोगों का भाषा के प्रति प्रेम तो है, लेकिन छत्तीसगढ़ में सभी प्रांत के लोग बसे हैं. वहीं यहां के युवा ये सोचते हैं कि अगर छत्तीसगढ़ी में बात करेंगे, तो लोग उन्हें गांव का समझेंगे. जब सभी छत्तीसगढ़ी एक जगह मिलते हैं उस समय छत्तीसगढ़ी का भरपूर उपयोग किया जाता है. जहां छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने वालों की संख्या कम है, वहां छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ी बोलने में हिचकिचाते हैं.