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'चाउर वाले बाबा' ने किया छत्तीसगढ़ियों के दिलों पर राज, इन योजनाओं ने दिलाई थी अलग पहचान

रमन सिंह के हाथ में भले ही छत्तीसगढ़ की सत्ता न हो, लेकिन उनके कार्यकाल में लागू की गई कई योजनाएं आज भी लोगों के जुबान पर चढ़ी हुई हैं.

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Published : Oct 15, 2019, 11:47 AM IST

Updated : Oct 15, 2019, 3:50 PM IST

रमन सिंह

रायपुर : 'चाउर वाले बाबा' छत्तीसगढ़ की राजनीति की वो पहचान, जिसने रमन सिंह को लोगों के दिलों में बसा दिया. कभी छत्तीसगढ़ की सियासत के धूमकेतू रहे रमन सिंह की चमक आज भले ही कमजोर पड़ी हो लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब पूरे देश में उनकी योजनाओं का डंका बजता था.

इन योजनाओं ने रमन सिंह को दिलाई थी अलग पहचान

रमन ने अपने शासनकाल के 15 साल तक एक से बढ़कर एक योजनाएं लागू की और यही वजह थी कि लगातार पंद्रह साल तक वो नॉट आउट रहने के साथ ही विरोधियों के हर एक बाउंसर का बड़ी ही आसानी के सामना करते थे. इसमें से कुछ योजनाएं ऐसी है जिसनें गरीबों का पेट भरा तो बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए संजीवनी साबित हुई.

हम आपको बताते हैं, कि आखिर वो कौन सी योजनाएं हैं जिनका जिक्र होते ही गरीबों की जुबान पर रमन का नाम आ जाता है.

मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना
इस योजना के तहत हर परिवार के सदस्य को इलाज के लिए एक स्मार्ट कार्ड दिया गया. इस योजना से कई गरीब परिवार अपना इलाज करा सके. साथ ही मध्यम वर्गीय परिवार के लिए भी ये योजना फायदेंमंद साबित हुई.

पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम (PDS) योजना
इस स्कीम के तहत गरीबों को 1 रुपये प्रति किलो की दर से चावल बांटा गया. इस योजना ने छत्तीसगढ़ में रमन को चाउर वाले बाबा के तौर पर पहचान दिलाई.

आवास योजना
ये योजना गरीबों को आवास देने के लिए शुरू की गई थी, जिसे तब की केंद्र सरकार ने न सिर्फ सराहा, बल्कि उस वक्त की रमन सरकार की आवास योजना को प्रधानमंत्री आवास के नाम से पूरे देश में लागू की किया गया. ताकि हरगरीब को छत नसीब हो सके.

इन योजनाओं के अलावा भी रमन के कार्यकाल के दौरान कई विकास कार्यों को मूर्त रूप दिया गया. इन्हीं में से एक है नई राजधानी यानि नया रायपार जिसका भूपेश सरकार ने नाम बदलकर नवा रायपुर कर दिया है. ये देश की पहली इंटीग्रेटेड स्मार्ट सिटी है जिसकी परिकल्पना रमन सिंह की दूरगामी सोच का परिणाम है.

रमन सिंह 67 साल के हो गए हैं, पिछले 15 साल उन्होंने सत्ता में रहते अपना जन्मदिन मनाया, आज वो भले ही सत्ता की कुर्सी पर सवार न हों, लेकिन जनता के दिलों में आज भी बसे हैं.

Last Updated : Oct 15, 2019, 3:50 PM IST

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