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प्रथा या अंधविश्वास : नवरात्र पर देवी-देवताओं को दी जाती है आज भी बलि, यह कितना सही...!

देवी देवताओं को दी जाने वाली बलि आज भी लोग प्रथा के रूप में पालन करते हैं. यहां तक कि लोग अपने ही अंगों की बलि दे देते हैं. ये कितना सही या गलत है जानने के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

bali pratha given to gods and goddesses
देवी देवताओं को दी जाती है आज भी बलि

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Published : Apr 2, 2022, 9:39 PM IST

रायपुर : नवरात्र का पर्व शुरू हो गया है. इस दौरान आस्था और विश्वास के साथ देवी की पूजा-अर्चना करते हैं. देवी को खुश करने के लिए भक्त कई तरह की पूजा-अर्चना करते हैं. कुछ भक्त कई किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलते हुए मंदिर तक पहुंचते हैं. तो कुछ अन्य माध्यमों से देवी को खुश करने का प्रयास करते हैं. कई जगहों पर तो यह भी देखा गया है कि भक्तों के द्वारा देवी को खुश करने अपने शरीर का अंग तक काटकर चढ़ा दिया जाता है. जिसमें जीभ, आंख या फिर हाथ की उंगली शामिल होती है.

ऐसा जरूरी नहीं है कि नवरात्रि के दौरान यह किया जाए. अक्सर लोग देवी-देवता से मुराद पूरी करने को लेकर इस तरह के आडंबर करते हैं, जो कि घातक होता है. ऐसी ही एक घटना हाल ही में जांजगीर-चांपा जिले में देखी गई थी. जहां नहरिया बाबा मंदिर में एक अधेड़ ने अपनी जीभ काटने की कोशिश की. उसका नाम मुरारी लाल सोनी है, जो 55 वर्षीय है. वह अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए स्वेच्छा से अपनी जीभ काटकर मंदिर में चढ़ा रहा था. इस बात को मुरारीलाल ने खुद स्वीकार किया है. हालांकि इस बीच मंदिर में उपस्थित लोगों ने घटना की जानकारी पुलिस को दी और पुलिस ने मुरारी लाल को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका उपचार किया गया.

देवी देवताओं को दी जाने वाली बलि

इसी तरह कोरबा जिले में फरवरी में एक शख्स ने अपनी अंगुली काटकर भोलेनाथ को अर्पित कर दी थी. शख्स की पत्नी 4 साल से ससुराल नहीं लौटी थी. किसी बीमारी के कारण वह मायके में रह रही थी. पति पत्नी के वियोग में व्याकुल था. उसने एक आत्मघाती कदम उठा लिया. राजगामार के शिव मंदिर में शख्स ने काले झंडे लगाए. तंत्र साधना की फिर अपनी हथेली की एक अंगुली काटकर इस उम्मीद में भोले नाथ को अर्पण कर दिया कि इस तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न होंगे और पत्नी लौट आएगी.

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यह तो हाल की दो घटनाएं हैं, लेकिन ऐसी कितनी ही अनगिनत घटनाएं हैं... जब भक्तों के द्वारा देवी-देवताओं को खुश करने को जीभ, आंख, अंगुली सहित शरीर के कोई और अंगों को काटकर चढ़ा दिया जाता है. भक्तों को लगता है कि इससे भगवान प्रसन्न होंगे और उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होंगी. नवरात्रि या फिर अन्य किसी त्योहार के दौरान पूजा-पाठ के बीच भक्तों के द्वारा अपने शरीर के किसी अंग को काट कर चढ़ाना या फिर किसी तरह की भी बलि देना किसी भी लिहाज से उचित नहीं है.

सात्विक तरीके से करना चाहिए पूजा-पाठ : खुद धर्म से जुड़े लोग इसका विरोध करते हैं. महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला का कहना है कि नवरात्रि का पर्व हो या फिर कोई अन्य त्यौहार. उस दौरान बड़े ही सात्विक ढंग से पूजा-पाठ की जानी चाहिए. इस बीच जितना भी पूजा-पाठ-आराधना या फिर जप कर सकते हैं. नवरात्रि में माता को प्रसन्न करने के लिए, ये किए जा सकते हैं. लेकिन यह भी देखा जाता है कि कई बार कुछ भक्तों के द्वारा देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अपने शरीर का अंग जैसे आंख, जीभ या फिर हाथ की उंगलियां काट कर चढ़ा दी जाती हैं. इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए. शास्त्र के अनुसार भी यह गलत है. किसी भी स्थिति में यह सही नहीं है. कुछ लोग धर्म की आड़ में पशुओं की बलि भी चढ़ाते हैं जो कि पूजा-पाठ आराधना को दूसरे लाइन में ले जाने की प्रक्रिया है. ऐसा नहीं होना चाहिए. कहीं भी शास्त्रों में ऐसा नहीं लिखा है कि शरीर का अंग काटकर चढ़ाने से या फिर पशुओं की बलि देने से देवी-देवता प्रसन्न होंगे.

यह महज एक अंधविश्वास :इस विषय में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्रा का कहना है कि इस तरह की भक्ति से देवी-देवता प्रसन्न नहीं होते हैं. यह सिर्फ अंधविश्वास है. यदि आप किसी भी देवी- देवता पर आस्था रखते हैं तो उसकी पूजा-अर्चना कर सकते हैं. लेकिन शरीर का कोई भी अंग काटकर देवी-देवता को नहीं चढ़ा सकते हैं. यह पूरी तरह से अंधविश्वास है. क्योंकि कोई भी देवी-देवता ऐसा नहीं कहेंगे कि आप अपने शरीर को अंग को काट कर चढ़ाएं. हमारे शरीर के कई अंग ऐसे हैं जो काफी महत्वपूर्ण है लेकिन ऐसा देखने में आ रहा है कि कुछ लोग अपनी जीभ या फिर हाथ की उंगलियां काटकर देवी-देवताओं को चढ़ा रहे हैं और इसके बाद वह व्यक्ति जीवन भर के लिए अपंग और विकलांग हो जाता है.

धर्म से जुड़े लोग इन बातों को सही नहीं मानते : इस तरह की घटनाओं को लेकर आस्था और अंधविश्वास की बातें सामने आती हैं. क्या वाकई में ऐसा किए जाने से देवी-देवता भक्तों से खुश होते हैं या फिर यह महज उनका अंधविश्वास है. ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब मिलना बाकी है. लेकिन भक्तों के द्वारा उठाए जा रहा यह कदम कितना कारगर या फिर कितना घातक है यह कह पाना मुश्किल है. इसे धर्म से जुड़े लोग भी सही नहीं मानते हैं. वही अंधविश्वास को लेकर काम करने वाले संस्थान भी इसका पुरजोर विरोध करते हैं. बावजूद इसके इस तरह की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही है.

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