छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

BUDGET 2019 : डीजल-पेट्रोल के बढ़े दाम, कैसे चलाएंगे अपना काम

पेट्रोल और डीजल पर एक-एक रुपये प्रति लीटर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क तथा सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर बढ़ाने का प्रस्ताव किया है. कच्चे तेल के मूल्य कम हुए हैं। इससे पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क और उपकर की समीक्षा करने का मौका मिला है.

डिजाइन इमेज

By

Published : Jul 5, 2019, 9:53 PM IST

रायपुर: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बजट में पेट्रोल और डीजल पर उत्पादन शुल्क में प्रति लीटर एक रुपये की बढ़ोतरी करने की घोषणा की. साथ ही पेट्रोल और डीजल पर एक रुपए रोड एंड इंफ्रॉस्ट्रक्चर सेस लगाने का एलान किया. वैट लगने के बाद पेट्रोल 2.5 रुपए प्रति लीटर और डीजल 2.3 रुपए प्रति लीटर महंगा हो जाएगा.

डीजल-पेट्रोल के बढ़े दाम

वित्तमंत्री ने कहा कि बजट में पेट्रोल और डीजल पर एक-एक रुपये प्रति लीटर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क तथा सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर बढ़ाने का प्रस्ताव किया है. कच्चे तेल के मूल्य कम हुए हैं। इससे पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क और उपकर की समीक्षा करने का मौका मिला है.

इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ने वाला है. पेट्रोल-डीजल महंगा यानी जरूरत की हर चीज महंगी.

सरकार ने वर्तमान में ब्रांडेड और नॉन-ब्रांडेड पेट्रोल दोनों पर 7 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1 रुपये प्रति लीटर का उपक्रम शुल्क लेती है. इसके अलावा सड़क, पेट्रोल और डीजल दोनों पर 8 रुपये प्रति लीटर का इंफ्रास्ट्रक्चर SAED वसूला जाता है.

ईंधन की बढ़ती कीमतों का क्या असर
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई पर आने वाला खर्च बढ़ जाएगा, जिसका प्रभाव लगभग हर सामान की कीमत पर होना तय माना जा रहा है. खाना-पीना, घूमना सबकुछ महंगा होगा और आपको अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी. जिससे लोग खुश नहीं हैं.

पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ने से लोगों में नाराजगी है. ईंधन की कीमतें बढ़ने पर लोगों के दैनिक खर्चों में पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक्सपर्ट का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थ के दाम बढ़ने से परिवहन महंगा होगा, जिसकी वजह से वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे. चीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में परिवहन का उपयोग होगा. इससे कीमतें तो बढ़ेंगी. व्यक्तिगत उपभोक्ता कीमतें बढ़ने का अनुभव करता है, सरकार चाहे जो कहे.

आसमान छूते ईंधन के दाम:

  • रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के अंत तक वैश्विक क्रूड ऑयल का दाम 100 डॉलर तक पहुंच सकता है. ऐसे में इसे संतुलित करना मुश्किल होगा. पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. वहीं सरकार ने इसे कंट्रोल करने का आश्वसान तो दिया था, लेकिन दर अब भी असमान्य बने हुई है.
  • कमोडिटी प्राइसेस: यदि ईंधन की कीमतें बढ़ती हैं, तो आपको कमोडिटी के लिए भी अधिक भुगतान करना होता है. इसके साथ ही उत्पादन लागत भी बढ़ने लगती है.
  • मुद्रास्फीति: अगर ईंधन की कीमत ऐसे ही आसमान छूती रही तो देश में मुद्रास्फीति का संकट भी सामने आ सकता है. एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक इस स्थिती में देश में सामानों की कीमतों में 4-7 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है.
  • बचत: अधिक दामों पर चीजों की खरीदारी से लोगों के जेब और जमाधन पर असर पड़ेगा. इसी तरह, क्रूड की बढ़ती कीमतों के मामले में सेवा शुल्क भी बढ़ सकता है. हालांकि, इसका सबसे बड़ा झटका यात्रियों या निजी वाहन मालिकों को लगेगा.
  • विदेश यात्रा, शिक्षा, व्यापार: क्रूड ऑयल के दामों में बढ़ोतरी होने से इन चीजों पर भी असर दिखाई पड़ेगा. तेल के दामों में वृद्धी से आयात की गई चीजों के दामों में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. विदेश घूमने या पढ़ाई करने के उद्देश्य से जाने वाले लोगों को भारतीय मुद्रा का अच्छा एक्सचेंज रेट नहीं मिल पाएगा.
  • ब्याज दरें: उच्च मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज बढ़ाने को मजबूर कर देगी. इससे देश के लोनदारों पर खासा प्रभाव पड़ेगा.

घूमना महंगा हुआ-
याद रखें कि ईंधन की लागत घरेलू बजट का एक प्रमुख घटक है. एक मध्यम परिवार अपनी कार में प्रतिमाह औसतन 2 हजार किलोमीटर का सफर करता है. माना कि एक कार 12 किलो मीटर प्रति लीटर का एवरेज देती है तो वो महीने में 170 लीटर पेट्रोल का खपत करेगी. ईंधन कि कीमतों में 15 रुपए की वृद्धी होने से अगले 2 साल में मीडिल क्लास के लिए पेट्रोल का बजट 2550 रुपए तक पहुंच जाएगा. इसी प्रकार 50 हजार रुपए सैलरी के 5 फीसदी व्यक्ति मात्र ईंधन में खर्च कर लेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details