रायपुर:छत्तीसगढ़ की तारीफ कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए कार्यों को लेकर हो रही है. एक तरफ जहां एम्स मिसाल पेश कर रहा है , वहीं प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा से मरीजों के परिजनों की परेशान करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. मेकाहारा को सरकार कोरोना वायरस से निपटने के लिए तैयार कर रही है. जिसके लिए जनरल वार्ड के मरीजों को इलाज और सर्जरी करने के बाद डिस्चार्ज किया जा रहा है. इसके साथ ही ऑपरेशन की डेट आगे बढ़ा दी गई है. लॉक डाउन होने की वजह से मरीज और उनके परिजनों को घर जाने में परेशानी हो रही है. लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री से मदद की गुहार लगाई है.
कई ऑपरेशन और सर्जरी के डेट आगे बढ़ाने के बाद मरीजों को समय से पहले डिस्चार्ज कर दिया गया है. लॉकडाउन की स्थिति में डिस्चार्ज होने के बाद इन मरीजों के सामने सकुशल घर लौटने की चुनौती बन गई है. वहीं सरकार की लापरवाही का आलम ये है कि मरीजों को घर तक पहुंचाने का साधन महैया नहीं करा पा रही है.
'घर जाने के लिए नहीं हैं पैसे'
मरीजों का कहना है कि उनके पास अब न खाने के लिए पैसे हैं और न ही घर लौटने के लिए कोई साधन. कोंडागांव से सोनू यादव अपने पिता के कैंसर का इलाज करवाने मेकाहारा आए थे, जिनकी सर्जरी हो चुकी है. अस्पताल ने उन्हें समय से पहले डिस्चार्ज कर दिया है, लेकिन वे लोग अभी घर नहीं जा पा रहे हैं. सोनू ने बताया कि एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल रही है, वहीं प्राइवेट गाड़ियां 12 हजार की मांग कर रही हैं. सोनू ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उसके पास इतने पैसे नहीं है, जिससे वह अपने घर लौट सके. लॉकडाउन होने की वजह से गाड़ी वाले भी दोगुना किराया ले रहे हैं. सोनू का कहना है कि अस्पताल प्रबंधक ने एम्बुलेंस से घर पहुंचने की बात कही थी. लेकिन अभी तक ऐसी कोई पहल देखने को नहीं मिली है.
बता दें कि प्रदेश के मरीजों के लिए सरकार 108 की व्यवस्था करवा रही है, लेकिन मेकाहारा अस्पताल में ऐसे भी मरीज हैं, जहां दूसरे राज्यों से भी मरीज आते हैं. कई मरीज मध्यप्रदेश के अनुपूरक अमरकंटक से आएं हैं. उनके पास न तो 108 से जाने की सुविधा है और न ही इतने पैसे हैं कि वे प्राइवेट गाड़ी से घर जा सके.
दूसरे राज्य के मरीज भी फंसे