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Narak Chaturdashi 2023 नरक चतुर्दशी के दिन मिलता है रूप और सौंदर्य, जानिए क्या है पौराणिक मान्यता ?

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 9, 2023, 7:09 AM IST

Updated : Nov 11, 2023, 6:37 AM IST

Narak Chaturdashi 2023 नरक चतुर्दशी का पर्व दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है.इसे लोग रूप चौदस के नाम से भी जानते हैं.इस साल नरक चतुर्दशी का पर्व 11 नवंबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा.Roop Chaudash

Roop Chaudash
नरक चौदस के दिन मिलता है रूप और सौंदर्य

नरक चतुर्दशी के दिन मिलता है रूप और सौंदर्य

रायपुर :2023 में नरक चतुर्दशी का पर्व 11 नवंबर को मनाया जाएगा. नरक चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस पर्व को छोटी दीवाली, रूप चौदस या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. नरक चौदस का पर्व धनतेरस के एक दिन बाद और दीपावली के एक दिन पहले आता है. हिंदू धर्म में इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए. शाम के समय दीपदान का बड़ा महत्व है. इस दिन 14 दीपक दान करने से यम का भय समाप्त होता है.


नरक चौदस के दिन क्या करें ? :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने के मुताबिक नरक चतुर्दशी को काली चौदस रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन तेल और उबटन से स्नान किया जाता है. ऐसा करने से नरक से मुक्ति मिलती है. स्वर्ग और सौंदर्य की प्राप्ति होती है.

''नरक चतुर्दशी के दिन चिड़चिड़ा के पौधे की पत्ती को पानी में डालकर स्नान करने से रूप और सौंदर्य में निखार आता है. इस दिन शाम के समय यम के लिए 14 दीपक दान करना चाहिए. भगवान यमराज की पूजा करने से यम का भय समाप्त होता है."- प्रिया शरण त्रिपाठी,ज्योतिषाचार्य


नरक चौदस की पौराणिक कथा :पौराणिक मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में नरकासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था. अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि मुनियों के साथ ही 16 हजार 100 कन्याओं को बंधक बना लिया था. नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्णा अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया . इसके बाद कैद से 16 हजार 100 कन्याओं को नरकासुर के बंधन से मुक्ति दिलाई.

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श्रीकृष्ण ने उबटन और तेल से किया था स्नान :मान्यता है कि जब श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया.उसके बाद तेल और उबटन से स्नान किया था. तभी से इस दिन तेल लगाकर स्नान की प्रथा शुरू हुई. माना जाता है कि ऐसा करने से नरक से मुक्ति मिलती है. स्वर्ग और सौंदर्य की प्राप्ति होती है. वहीं दूसरी मान्यता ये भी है कि नरकासुर के कब्जे में रहने के कारण 16 हजार 100 कन्याओं के रूप को फिर से श्री कृष्ण ने वापस दिलाया था. इसलिए इस दिन महिलाएं उबटन से स्नान कर 16 श्रृंगार करती हैं. जो महिलाएं आज के दिन 16 श्रृंगार करती हैं, उन्हें सौभाग्यवती और सौंदर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Last Updated : Nov 11, 2023, 6:37 AM IST

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