रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक दिसंबर से धान खरीदी की जानी है. लेकिन इससे पहले समर्थन मूल्य को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. राज्य सरकार, केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन के मूड में है, तो प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में ठन गई है. धान खरीदी और किसानों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीन मीटिंग बुलाई, जिससे भाजपा ने दूरी बना ली.
चिट्ठी और सांसदों का रिसीविंग लेटर बीजेपी का कहना है कि न तो एजेंडा बताया गया और न ही बुलाया गया, तो सत्ता पक्ष कह रहा है कि न्योता भेजा गया है. इसी बीच धान खरीदी के संबंध में लिखी गई भाजपा सांसदों को कांग्रेस सरकार की चिट्ठी और सांसदों के पीए द्वारा रिसीविंग की कॉपी भी सामने आई है. कहा जा रहा है कि रायपुर सांसद सुनील सोनी, बिलासपुर सांसद अरुण साव, दुर्ग सांसद विजय बघेल और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय को जानकारी भेजी गई थी और उनके दफ्तर में जानकारी रिसीव भी की गई थी.
चिट्ठी और सांसदों का रिसीविंग लेटर चिट्ठी और सांसदों का रिसीविंग लेटर चिट्ठी और सांसदों का रिसीविंग लेटर चिट्ठी और सांसदों का रिसीविंग लेटर चिट्ठी और सांसदों का रिसीविंग लेटर वहीं भाजपा से राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम का पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने झारखंड प्रवास पर होने की वजह से मीटिंग में शामिल होने पर असमर्थता जताई है.
सीएम बघेल ने भी बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि निमंत्रण भेजने के बाद भी नहीं आने से भाजपा का चेहरा उजागर हो गया है. सीएम ने सवाल पूछा कि जब रमन सरकार के वक्त नियम शिथिल हुए तो अब क्यों नहीं.
सीएम भूपेश बघेल और प्रदेश अध्यक्ष में घमासन मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर मीटिंग भी ली. पहली बैठक संपन्न हो चुकी है. इस बैठक में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के संबंध में खास चर्चा हुई. पहली बैठक में भाजपा सांसद शामिल नहीं हुए हैं. वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) मीटिंग में शामिल हुई है. जेसीसीजे नेता और विधायक धरमजीत सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि किसानों को धान का समर्थन मूल्य मिले, इसके लिए दिल्ली से समर्थन मिले या न मिले. बसपा ने कहा कि किसानों के हक के लिए वह इस बैठक में शामिल हुई है.
प्रदेश में धान पर सियासत जोरों पर है. इस लड़ाई में चाहे जिसकी जीत हो, बस फायदा अन्नदाता को होना चाहिए.