रायगढ़: शुक्रवार को सारंगढ़ तहसील के ग्राम जशपुर के 8 वर्षीय बच्चे भुरू सारथी की मौत के बाद निजी अस्पताल प्रबंधन ने शव को बंधक बना लिया था. बच्चे के इलाज के नाम पर लगभग 48 हजार रुपए के बिल के भुगतान के लिए परिजनों को प्रताड़ित किया जा रहा था. देर रात स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की दखल के बाद बच्चे के शव को परिजनों को सौंपा गया. अस्पताल प्रबंधन अब मानवता भूलकर बच्चे के गरीब माता-पिता से बिल के भुगतान के लिए लगातार दबाव बना रहा है. मामले में ETV भारत ने सभी पक्षों से बात की है.
क्या है पूरा मामला
परिजनों ने बताया कि बच्चे का इलाज सारंगढ़ स्थित निजी हॉस्पिटल में 10 अक्टूबर से चल रहा था. 16 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे के करीब बच्चे की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से साफ इनकार कर दिया. इलाज के नाम पर बकाया रुपए के भुगतान के लिए दबाव बनाया जाने लगा. अस्पताल प्रबंधन ने शव को बंधक बनाया है, ऐसी खबर देर शाम स्थानीय प्रशासन को मिली. जिसके बाद प्रशासन ने हस्तक्षेप करके मामले को निपटाया. बच्चे के शव को परिजनों को सौंपा गया. स्थानीय प्रशासन ने भी मामले में हस्तक्षेप किया. प्रशासन की ओर से कहा गया कि अस्पताल में किसी को गारंटर के तौर छोड़ा जाए, बाद में बिल चुकाया जाए. गरीब परिजनों के पास रुपए नहीं होने की स्थिति में उन्हें अपने ही बच्चे का शव घंटों बाद मिला और देर रात अस्पताल प्रबंधन ने प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद शव को छोड़ा.