छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक पुन्नी मेला, खारुन तट पर 14वीं शताब्दी से जुट रहे श्रद्धालु,जानिए पौराणिक मान्यता ?
Chhattisgarh Oldest Punni Fair छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने मेले का आयोजन रायपुर के महादेव घाट में होता है. इस मेले को पुन्नी मेले के तौर पर जाना जाता है.कार्तिक पूर्णिमा में लगने वाले इस तीन दिवसीय मेले की पूरी तैयारियां कर ली गई है.Mythological Belief Of Punni Mela
रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में खारुन नदी के तट पर भव्य मेले का आयोजन होता है.खारुन नदी के तट को लोग महादेव घाट के नाम से भी जानते हैं.इस नदी के तट पर प्राचीन हटकेश्वरनाथ शिवमंदिर है.जहां के शिवलिंग स्वयंभू माने जाते हैं. हर साल महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और सावन के महीने में इस जगह पर मेला लगता है.
पुरातन काल से हो रहा मेले का आयोजन :27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु खारुन नदी में स्नान करने के साथ ही हटकेश्वरनाथ का दर्शन करेंगे.इस दौरान श्रद्धालु यहां लगने वाले पारंपरिक मेले का आनंद भी लेंगे. ये मेला 27 नवंबर से 29 नवंबर तक 3 दिनों तक चलेगा.आपको बता दें कि कलचुरी शासनकाल में राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद सन 1928 में इस मंदिर का निर्माण कराया था. तब से मेला का आयोजन लगातार हो रहा है.
क्या है मंदिर का इतिहास ? :हटकेश्वरनाथ धाम के पुजारी पंडित सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया कि 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व होगा. हरिहर मिलन का योग होता है. जिसमें देर रात भगवान भोलेनाथ को तुलसी की मंजरी और कमल फूल चढ़ाकर पूजा आराधना की जाती है. इस मंदिर का निर्माण 1428 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने किया था. उस समय हैययवंशी राजाओं का शासन काल था.
''रायपुरा के पास राजा ब्रह्मदेव के घोड़े को चोट लगी और घोड़ा गिर गया. जिसके बाद उस स्थल से घास फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर देखा गया तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग था. जिसके दर्शन राजा ब्रह्मदेव को हुए. राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया फिर भगवान से प्रार्थना की उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो वो 6 माह में मंदिर बनवाएंगे.मनोकामना पूरी होने पर राजा ने मंदिर बनवाया.''सुरेश गिरी गोस्वामी, पुजारी
साल भर मंदिर में रहती है भीड़ :हटकेश्वरनाथ धाम में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचे कुछ भक्तों से हमने बात की तो उन्होंने बताया कि "खारुन नदी के तट पर बने इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना साल भर होती है. लेकिन सावन, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां पर मेले जैसे माहौल रहता है. इस मंदिर में आने वाले भक्तों और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना और मनोरथ पूरी होती है.
वहीं दुकानदार बसंत गुप्ता के मुताबिक हटकेश्वरनाथ धाम के आसपास फैंसी और पूजा पाठ की सामग्री की लगभग 50 दुकान स्थाई रूप से साल भर रहती हैं. मेले के समय रायपुर जिले के साथ ही प्रदेश के अन्य जगहों से दुकानदार यहां पर अपनी दुकान सजाते हैं. इस बार कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगभग 500 दुकान होंगे. मीना बाजार भी आकर्षण का केंद्र होगा.जिसमें बच्चों के लिए तरह-तरह के झूले और मनोरंजन के साधन होंगे.