रायपुर:छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का आज पांचवां दिन था. इस दौरान बजट पर चर्चा के तहत पूर्व सीएम रमन सिंह ने बघेल सरकार पर जोरदार हमला बोला. पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए.
रमन सिंह का सीएम बघेल पर निशाना यह भी पढ़ें:budget session of chhattisgarh assembly: संसदीय सचिवों की उपयोगिता को लेकर सदन में विपक्ष का हंगामा सरकार की खुल रही है कलई-रमन
बजट पर सामान्य चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि, छत्तीसगढ़ बजट पर एक एजेंसी ने एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें बताया गया है कि राशि का कितना उपयोग किया गया है. इससे सरकार की कलई खुल रही है. 2020-21 में एक्चुअल अलॉटमेंट एक हजार 900 करोड़ था, लेकिन खर्च 82 फीसदी माइनस में हुआ. सिंचाई और बाढ़ आपदा से बचाव में माइनस 41 उपयोग किया गया. एसटी/एससी वेलफेयर स्कीम के लिए 875 करोड़ के बजट में 36 फीसदी राशि बगैर खर्च किए रह गई. वर्क डिपार्टमेंट में माइनस 32 फीसदी रहा. ये आकंड़े सरकार की सच्चाई दिखाती है. सरकार ने बजट में पैसा तो रख दिया लेकिन सरकार खर्च नहीं कर पाई.
नवा रायपुर की संपत्ति को बैंक जब्त कर रही है-रमन
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि, नया रायपुर की सरकारी संपत्ति को बैंक जब्त कर रही है. एक दिन आएगा जब मंत्रालय भी बैंक के कब्जे में चले जाएंगे. ये स्थिति कुप्रबंधन की वजह से है. ये हाल रहा तो आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ वेतन देने की स्थिति में भी नहीं रह जाएगा. सरकार के पास कोई विजन नहीं है. ये सरकार कर्ज के बोझ तले दब रही है. छत्तीसगढ़ में पैदा होते ही बच्चे के सिर में 35 हजार रुपये का कर्ज हो जाता है. 2003 में जब बीजेपी सरकार में आई थी तब हम पर भी आठ हजार करोड़ कर्ज था. 15 साल हम सरकार में रहे और 15 सालों में 35 हजार करोड़ कर्ज हुआ था. हम साल का दो हजार करोड़ कर्ज लेते थे लेकिन भूपेश सरकार सालाना 15 हज़ार करोड़ कर्ज ले रही है.
राज्य में हर कोई परेशान-रमन
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शराब माफिया, रेत माफिया ये सब हम यूपी बिहार में सुनते थे. लेकिन ये अब हम छत्तीसगढ़ में सुन रहे हैं. विधायक के पति के खिलाफ एफआईआर हो रही है. कोरबा में 25 रुपए टन गब्बर सिंह टैक्स लिया जा रहा है. राजनीतिक दृष्टि से आंदोलन करने वाले, सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों के खिलाफ एट्रोसिटी लगा दी जाती है. रमन ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित इस बजट में बगैर वृद्धि के छत्तीसगढ़ मॉडल बनाने की कोशिश हो रही है. श्रम विभाग का बजट 256 करोड़ से 115 करोड़ पर आ गया. चिकित्सा विभाग के बजट में कोई वृद्धि नहीं हुई. मेडिकल कॉलेज खोलने की बात आती है. तो सरकार बंद मेडिकल कॉलेज को खोलने के लिए पैसा देती है. लेकिन केंद्र के गरीबों के कल्याण के लिए खोले जाने वाले मेडिकल कॉलेज के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है.
डॉ रमन सिंह ने कहा कि सुपोषण अभियान पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. सुपोषण अभियान ही कुपोषित हो गया है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में एनिमिया बढ़कर 80 फीसदी के ऊपर चला गया. महिलाओं में एनिमिया की दर बढ़ गई है. पशुपालन का बजट 580 करोड़ से घटकर 521 करोड़ हो गया. सच्चाई ये है कि, गोधन न्याय योजना के शुरू होने के बाद से अब तक दिया गया पैसा बड़े-बड़े गौपालकों को जाता है. 97 हजार ग्रामीणों की राशि का प्रति व्यक्ति औसत निकाले तो यह 23 रुपए प्रति दिन होता है.
उन्होंने कहा कि खनिज संसाधनों की आय से राजस्व वृद्धि हुई है. औद्योगिक विकास से नहीं हुई है. कृषि विकास दर 5.48 से घटकर 3.88 हो गया. बजट की आत्मा पूंजीगत व्यय होती है. तीन सालों में पूंजीगत व्यय कभी 14 फीसदी रखा गया. कभी 13 फीसदी लेकिन आश्चर्य है कि एक लाख करोड़ के बजट में सिर्फ 9 हजार 800 करोड़ ही खर्च हो रहे हैं. वित्तीय घाटा जीएसजीपी का 3.3 फीसदी रखा गया है.
डॉक्टर रमन ने कहा कि, सरकार ने सबसे बड़ा अपराध गरीबों का घर छिनकर किया है. प्रधानमंत्री ने 22 लाख आवास का लक्ष्य छत्तीसगढ़ के लिए रखा. लेकिन मैचिंग ग्रांट नहीं देने की वजह से आवास नहीं बने. केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ को नोटिस देना पड़ गया, तीन साल में सरकार एक भी आवास नहीं बना सकी. बीजेपी की सरकार ने एक रुपए किलो चावल, चरण पादुका, खाद्य सुरक्षा कानून, जीरो परसेंट में किसानों को ऋण देने के ये सारे काम किए. बस्तर को कनेक्टिविटी दी. 5 हजार करोड़ के बजट को 94 हजार करोड़ तक बीजेपी सरकार ले गई. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एक हजार किलोमीटर थी और हम सरकार में आए तब 22 हजार किलोमीटर सड़क बनी. कम से कम ये सरकार मेंटेंनेस करने का प्रावधान कर दे.