रायपुर :भारत देश में स्पीड ब्रेकर तो बनते हैं लेकिन एक निश्चित पैमाना और मापदंड का ध्यान नहीं रखा जाता (Speed breaker weakens bones) है. सड़कों पर बने स्पीड ब्रेकर का निर्माण पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा किया जाता है. लेकिन सड़कों पर बने इस स्पीड ब्रेकर के मापदंड के अनुरूप नहीं होने के कारण हड्डियों पर इसका कई तरह का असर देखने को मिलता है. शरीर के कई हिस्से में दर्द शुरू हो जाता है. ऐसे में संबंधित विभाग को स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई कितनी होनी चाहिए .उसमें कितना ढलान होना चाहिए और ब्रेकर के पहले किस तरह का मार्कर होना चाहिए. जिससे गाड़ी चला रहे या गाड़ी में सवार लोगों को पता चल सके कि आगे स्पीड ब्रेकर आने वाला है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर स्पीड ब्रेकर का निर्माण कराया जाना चाहिए.
क्या स्पीड ब्रेकर से कमजोर हो रही आपकी हड्डियां स्पीड ब्रेकर का पैमाना सही नहीं :आर्थोपेडिक डॉक्टर सुरेंद्र शुक्ला (orthopedic doctor surendra shukla) ने बताया कि "भारत में बने स्पीड ब्रेकर निश्चित मापदंड और पैमाना का पालन नहीं किया जा रहा है. जिसके कारण इसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है शरीर के कुछ हिस्सों पर दर्द होने लगता है. स्पीड ब्रेकर निश्चित पैमाना और मापदंड के अनुरूप नहीं होने के कारण कमर में दर्द स्लिप डिस्क में पर मस्कुलर पेन जैसी समस्याएं होने के साथ ही कई बार हड्डियों में फ्रैक्चर भी आ जाता है. ऐसे में स्पीड ब्रेकर का निर्माण करने वाली संबंधित एजेंसी को एक निश्चित पैमाना और मापदंड के आधार पर सड़कों पर स्पीड ब्रेकर बनाना (criteria for speed breaker is not correct) चाहिए. जिससे इस तरह की समस्या से दोपहिया या फिर चार पहिया वाहन चालक या उसमें सवार लोगों को इस तरह की समस्या से निजात मिल सके."
स्पीड ब्रेकर किनके लिए खतरनाक : ऑर्थोपेडिक डॉ सुरेंद्र शुक्ला का कहना है कि "जिस जगह पर स्पीड ब्रेकर की जरूरत है. उसी स्थान जगह पर स्पीड ब्रेकर का निर्माण कराया जाना चाहिए . स्पीड ब्रेकर बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि स्पीड ब्रेकर के पहले एक मार्कर भी होना चाहिए. ताकि सामने वाले दोपहिया या चार पहिया वाहन चलाने वाले को यह पता चल सके कि आगे स्पीड ब्रेकर आने वाला है और वह अपने वाहन को धीमा करने के साथ ही नियंत्रित गति से चलाएं. जिससे कमर पर झटका महसूस नहीं होगा. स्पीड ब्रेकर की वजह से सामान्य पेन मस्कुलर पेन स्लिप डिस्क में समस्या और अगर सामने वाला ओल्ड एज का है तो रीढ़ की हड्डी में कंप्रेशर फैक्चर भी हो सकता है."
दोपहिया में तकलीफ ज्यादा :ऑर्थोपेडिक डॉक्टर सुरेंद्र शुक्ला बताते हैं "कि 1 दिन में ओपीडी में लगभग 50 मरीज आते (Speed breaker troubles the elderly) हैं. जिसमें से 2 या 3 मरीज स्पीड ब्रेकर की वजह से दर्द की समस्या लेकर उनके पास पहुंचते हैं. स्पीड ब्रेकर की वजह से ज्यादा समस्या चार पहिया वाहन के बजाय दुपहिया वाहन चलाने वालों को होती है. क्योंकि दुपहिया वाहन के शॉकब चार पहिया वाहन की तुलना में कम मजबूत होते हैं .उन्होंने बताया कि कई बार चार पहिया वाहन पुराने और खराब होने की वजह से शॉकब में मजबूती कम हो जाती है. जिसके कारण इस तरह की समस्या देखने को मिलती है. "