रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है (Crime increased in Raipur). रायपुर की शांत फिजा को बढ़ता क्राइम खराब कर रहा है. शांति का टापू कहा जाने वाला छत्तीसगढ़ अब अपराध का गढ़ बनता जा रहा है ( Murder incident increased in Raipur). रायपुर क्राइम कैपिटल में तब्दील हो चुका है. अपराध पर लगाम कसने पुलिस अभियान तो चला रही है. लेकिन अपराधियों में इसका कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है.(Raipur crime news )
9 महीने में 59 मर्डर: यही वजह है कि जनवरी से लेकर सितंबर माह तक यानी इन 9 माह में 59 लोगों की हत्याएं हुई है. इन हत्याओं की वजह से राज्य की राजधानी खून से सनी हुई है. राजधानी में यदि इस तरह का आलम है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश के अन्य जिलों का हाल क्या होगा. हालांकि रायपुर पुलिस यह दावा जरुर कर रही है कि ज्यादातर मामलों का राजफाश किया जा चुका है. लेकिन जिस तरह के आंकड़े सामने आ रहे हैं वह बेहद ही चौंकाने वाले हैं.
मामूली विवाद में भी हुई हत्याएं:रायपुर पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक मई-जून में ही 16 लोगों की हत्या हुई हैं. इन हत्याओं की पड़ताल की गई तो पता चला कि ज्यादातर हत्याओं की वजह मामूली विवाद रहे. जिसमें पुरानी रंजिश या गाली गलौज जैसे छोटी बातों को लेकर मर्डर किया गया है. हालांकि मई जून में हुई इन हत्याओं के ज्यादातर मामलों में पुलिस को सफलता मिली है.
रायपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में 22 मर्डर :राजधानी रायपुर के देहात इलाके यानी की ग्रामीण क्षेत्र में पिछले 9 माह में 22 हत्याएं दर्ज की गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में हुई हत्याओं में से 21 मामलों के आरोपी पकड़े गए हैं, जो जेल की सलाखों में हैं. जबकि उरला इलाके के एक प्रकरण का खुलासा होना बाकि है. पुलिस इस मामले के आरोपी की पतासाजी में जुटी हुई हैं.
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59 मर्डर के बाद पुलिस के दावों पर उठे सवाल:आपको बता दें कि राजधानी रायपुर में साल 2021 में कुल 56 हत्या के प्रकरण दर्ज किए गए थे. लेकिन चौकाने वाली बात तो यह है कि यह साल यानी 2022 अभी पूरा ही नहीं बीता हैं और पिछले 9 महीने में ही हत्या के प्रकरण में इजाफा देखा गया है.
क्राइम कैपिटल में तब्दील राजधानी रायपुर | |
महीना | मर्डर केस |
जनवरी | 4 |
फरवरी | 4 |
मार्च | 4 |
अप्रैल | 9 |
मई | 8 |
जून | 9 |
जुलाई | 8 |
अगस्त | 7 |
सितंबर | 7 |
कुल | 59 |
क्या कहते हैं अफसर:रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल कहते हैं "हत्या के जो आंकड़े हैं यदि 5-7 सालों का देखें तो थोड़ा ऊपर निचे रहा है. ज्यादातर प्रकरणों में देखा गया है कि पर्सनल रिजंस होते थे. जैसे कि कुछ घटनाएं हैं. जिसमें बेटे ने पिता की हत्या कर दी थी. एक प्रकरण में भाई ही हत्यारा निकला, उसी तरह दूसरे प्रकरण में एक पति ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी. कुछ घटनाएं लूट को लेकर भी हुई है. हत्याओं के कारण बहुत अलग अलग हैं. कई मामलों में पुरानी दुश्मनी या कोई किसी के प्रति मन में बैर रखने की वजह से हत्या की वारदात हुई है. लगभग जितनी भी घटनाएं हुईं हैं. सभी मामले में पुलिस ने 302 के तहत मामला पंजीबद्ध किया है. चूंकि हत्या का प्रकरण बेहद गंभीर प्रकरण होता है. सबसे ज्यादा सजा इसके लिए निर्धारित है. पुलिस इस तरह के मामलों में अच्छे से इन्वेस्टिगेट कर कार्रवाई करती है. हमने ज्यादातर मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी भी की है"