रायपुर: छत्तीसगढ़ की उभरती कलाकार, छोटी उम्र में संगीत से सबका दिल जीतने वाली आरू साहू किसी परिचय की मोहताज नहीं है. आरू साहू के गाए मधुर गीत हर किसी को झूमने पर मजबूर कर देते हैं. महज 11 साल की उम्र में छत्तीसगढ़ ही नहीं देश और विदेश में भी आरू ने पहचान बना ली है. गरडुला नगर की रहने वाली आरू साहू ने छत्तीसगढ़ी गीतों को एक नई पहचान दी है. ETV भारत से बात करते हुए आरू ने कहा कि जैसे लता मंगेशकर की पहचान दुनिया में लता दीदी के नाम से है, वो भी इसी तरह छत्तीसगढ़ के बहिनी के नाम से जानी जाना चाहती है. छत्तीसगढ़ के हर बड़े मंच पर इस नन्ही आरू ने अपनी गायिकी से समा बांधा है. आरू का पूरा नाम ओजस्वी साहू है.
राजिम मेले में आरू साहू के गाने ने बांधा समा
आरू का संगीत के प्रति खासा लगाव
आरू धमतरी के सिहावा की रहने वाली है. उसका संगीत के प्रति बचपन से ही लगाव रहा है. आरू के घर में संगीत को लेकर रुचि थी. जब से आरू ने बोलना शुरू किया, समझना शुरू किया घर के माहौल की वजह से छत्तीसगढ़ी गानों को गुनगुनाने लगी थी. आरू के परिवार ने संगीत के प्रति लगाव देखकर उसे सपोर्ट किया. जब भी खाली समय मिलता छत्तीसगढ़ी और बॉलीवुड के गानों को गुनगुनाने में आरू मशगूल हो जाती थी. परिवार के कार्यक्रम और गांव के आयोजनों में गाना शुरू किया. इस दौरान सभी की निगाह उस पर पड़ी.
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छत्तीसगढ़ ही नहीं सात समुंदर पार भी है आरू की फैन फॉलोइंग
छत्तीसगढ़ की नन्ही सी बालिका आरु की फैन फॉलोइंग ना केवल छत्तीसगढ़ बल्कि सात समुंदर पार तक है. छत्तीसगढ़ में आरु ने जितने भी गाने गाए हैं, वह बेहद हिट हुए हैं. सुरीली आवाज में मन को मोह लेने वाले संगीत ने हर किसी का दिल जीत लिया है. आरू केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अमेरिका में रह रहे छत्तीसगढ़ की सोसायटी North America Chhattisgarh association (नाचा) के लिए गाना गा रही है. छत्तीसगढ़ के लिए थीम गीत को आरू ने ही आवाज दिया है. यह गीत ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए आरू ने गाया.
ये छत्तीसगढ़ है.. ये छत्तीसगढ़ है
ये रामचंद्र का भी मामा घर है