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रायपुर: धान खरीदी, बारदाना और फसलों के नुकसान को लेकर कैबिनेट में चर्चा संभव

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज कैबिनेट की बैठक लेंगे. बैठक में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सहित सभी मंत्री शामिल होंगे. इस बैठक में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.

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भूपेश कैबिनेट की अहम बैठक

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Published : Nov 28, 2020, 7:14 AM IST

Updated : Nov 28, 2020, 11:53 AM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज कैबिनेट की बैठक लेंगे. छत्तीसगढ़ सरकार ने अक्टूबर महीने में विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पारित किया था, जिस पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. भूपेश कैबिनेट की आज होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी. आज मुख्यमंत्री निवास में बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक के साथ-साथ धान खरीदी और विधानसभा के शीतकालीन सत्र के साथ अन्य मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.

कैबिनेट मीटिंग में धान खरीदी की चौथी किस्त देने को लेकर भी चर्चा हो सकती है. वहीं खराब मौसम की वजह से फसलों को जो नुकसान हुआ है, उसके मुआवजे को लेकर भी चर्चा हो सकती है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने पर भी चर्चा हो सकती है.

बारदानों की कमी पर हो सकती है चर्चा

कैबिनेट की बैठक में बारदानों की कमी को दूर करने को लेकर भी चर्चा होगी. इसके अलावा धान खरीदी की आखिरी तारीख भी तय की जा सकती है. वहीं बैठक में सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर भी बात हो सकती है.

कोरोना संक्रमण पर होगी चर्चा

कैबिनेट बैठक में प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण की स्थिति और उससे निपटने के नए उपाय, वैक्सीनेशन की तैयारियों पर चर्चा होगी. साथ ही 1 दिसबंर से होने वाली धान खरीदी को लेकर बातचीत होगी. वहीं निवार तूफान से हुई बारिश से खेतों में कटी फसल को हुए नुकसान पर किसानों को मुआवजे को लेकर भी कोई फैसला हो सकता है.

पीपीपी योजना को मिल सकती है मंजूरी

वहीं कैबिनेट मीटिंग में राजधानी के शांतिनगर में मल्टीस्टोरी कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए पीपीपी योजना को भी मंजूरी मिल सकती है.

आरपी मंडल 30 नवंबर को हो रहे हैं रिटायर, बैठक में आखिरी बार रहेंगे शामिल

मुख्य सचिव आरपी मंडल 30 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. मुख्य सचिव के रूप में शनिवार को वे अंतिम बार कैबिनेट की बैठक में शामिल होंगे. बैठक में ही उन्हें विदाई भी दी जा सकती है. वैसे तो राज्य सरकार ने मंडल का कार्यकाल तीन माह तक बढ़ाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वहां से प्रस्ताव को अब तक मंजूरी नहीं मिली है.

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मंडी संशोधन विधेयक पर टकराव

दरअसल, केंद्र सरकार के नए कृषि बिल को लेकर विपक्ष और किसान देशभर में विरोध कर रहे हैं. कई गैर बीजेपी शासित राज्यों ने भी कृषि कानूनों का विरोध किया है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और यहां भी सरकार ने इस बिल का विरोध किया है. राज्य सरकार ने किसानों के लिए छत्तीसगढ़ मंडी संशोधन विधेयक को विधानसभा में पारित करवा लिया, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे गए विधेयक पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इसे लेकर सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद की स्थिति बन गई थी, जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 28 नवंबर को कैबिनेट की अहम बैठक बुलाने का फैसला लिया.

कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक लेकर रही है सरकार और राज्यपाल में टकराव की स्थिति

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कृषि मंडी संशोधन विधेयक पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव के हालात को लेकर राजनीतिक दलों के भले ही अलग-अलग तर्क हैं, लेकिन संविधान विशेषज्ञों ने इस विषय पर चिंता जताई है. संविधान विशेषज्ञ और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रहे डॉक्टर सुशील त्रिवेदी ने बताया कि संवैधानिक नियमों के तहत राज्यपाल, पारित विधेयक को एक बार राज्य सरकार को वापस भेज सकती है. इसके बाद यदि यह राज्य सरकार विधेयक उसे फिर से भेजे तो, राज्यपाल को विधेयक को मंजूर करना अनिवार्य हो जाता है. इसके अलावा राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति को भेज कर उनका भी मत मिलने का इंतजार करेंगे.

राज्यपाल को जानने का अधिकार

इस मसले को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने कहा था कि राज्यपाल संवैधानिक पद है, इसे लेकर टिप्पणी करना सही नहीं है. उनका कहना था कि राज्य सरकार जिस तरह से मंडी टैक्स में संशोधन करके नया कानून ला रही है, उसमें अनाज और रॉ मटेरियल दोनों में टैक्सेशन है, जो कि गलत है. राज्य सरकार मंडी की आय की चिंता कर रही है, लेकिन किसानों की आय की चिंता नहीं कर रही है. अगर इस बात की जानकारी राजभवन की ओर से ली जा रही है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है.

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विवाद के बाद मिली थी विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी

27 और 28 अक्टूबर को विधानसभा में विशेष सत्र बुलाने को लेकर भी राजभवन में फाइल भेजी गई थी, लेकिन राज्यपाल ने फाइल को लौटा दिया गया था. राजभवन की तरफ से यह कहा गया था कि ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए. काफी विवाद के बाद राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाने को मंजूरी दी थी.

Last Updated : Nov 28, 2020, 11:53 AM IST

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