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छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस: 11 विभूतियां सम्मानित, कहा- छत्तीसगढ़ी लिखें, बोलें और पढ़ें

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर प्रदेश के 11 विभूतियों को सम्मानित किया गया. उन्होंने छत्तीसगढ़ भाषा को और भी बढ़ावा देने की बात कही. इसे पढ़ाई-लिखाई में भी शामिल करने के लिए कहा.

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छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस

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Published : Nov 28, 2020, 5:35 PM IST

रायपुर: आठवें छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है. वहीं इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की 11 विभूतियों को सम्मानित किया. मुख्यमंत्री ने अपने निवास स्थान पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा के प्रचार-प्रसार साहित्य सृजन और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए 11 विभूतियों को सम्मानित किया है.

छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस पर 11 विभूतियां सम्मानित
सम्मान पाने वाले नंदकिशोर शुक्ला ने कहा कि, 'जो सम्मान किया गया है, यह हमारा सम्मान नहीं. बल्कि हमारी मातृभाषा के सम्मान के लिए है. छत्तीसगढ़ी भाषा जन्म भाषा से राज भाषा बन गई है. जो सम्मान मुझे मिला है मैं उसे ही समर्पित करता हूं'.

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छत्तीसगढ़ी में कामकाज का लक्ष्य

उन्होंने लोगों से कहा कि इस दिन शासन-प्रशासन और समाज के लोग भी संकल्प लें कि छत्तीसगढ़ी भाषा में बोले, पढ़ें और लिखें. अभी भी छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा की पढ़ाई-लिखाई नहीं हो रही है, तो काम काज कैसे होगा. छत्तीसगढ़ी भाषा बोलना आसान है, लेकिन पढ़ना-लिखना कठिन है. आज भी छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई नहीं हो रही, जब तक छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई-लिखाई और कामकाज नहीं होगा तब तक छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा देना व्यर्थ हो जाएगा. सम्मान पाने वाले डॉक्टर चितरंजन ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को दर्जा मिलना चाहिए. उन्होंने ने कहा कि छत्तीसगढ़ी और छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए जो लोग काम कर रहे हैं और जो प्यार और सम्मान उन्हें मिला है, उसके लिए वे खुद को कृत्य मानते हैं.

अगली बार और उत्साह देखने को मिलेगा

वैभव शिव पाण्डेय ने कहा कि यह पहला अवसर है, जब छत्तीसगढ़ी भाषा में काम करने वाले लोगों को राजभाषा दिवस पर सम्मानित किया गया. यह गौरव की बात है कि जो राजभाषा के लिए काम कर रहे हैं, उनका सम्मान हुआ है. यह सम्मान छत्तीसगढ़ी भाषा का है. वैभव ने कहा कि जब इस तरह का सम्मान मिलता है तो हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. उन्होंने ये भी कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को सरकारी कामकाज और पढ़ाई लिखाई की भाषा भी बनाना है. वे क्षेत्र में और भी आगे काम करेंगे, जो हमारे पूर्वज हैं जिन्होंने हमें रास्ता दिखाया है हम उसी रास्ते पर आगे बढ़ेंगे. उम्मीद करते हैं आने वाले साल में फिर इस तरह का कोई कार्यक्रम होगा और उसमें दो गुना उत्साह देखने को मिलेगा.

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