छत्तीसगढ़

chhattisgarh

SPECIAL: विकराल बाढ़ में भी नहीं डूबता नाथल दाई का मंदिर, चरण छूकर वापस नीचे चला जाता है पानी

By

Published : Jul 20, 2020, 12:45 PM IST

Updated : Jul 20, 2020, 1:10 PM IST

रायगढ़ रोड पर टिमरलगा गांव में स्थित नाथलदाई देवी का मंदिर अपने आप में खास है. मां सरस्वती के नथ से प्रकट हुई नाथलदाई का मंदिर बाढ़ के पानी में भी नहीं डूबता.

nathaldai devi
नाथलदाई का मंदिर

रायगढ़:सारंगढ़ से लगभग 20 किलोमीटर दूर रायगढ़ रोड पर टिमरलगा गांव में स्थित है नाथलदाई देवी का मंदिर. मां सरस्वती के नथ से प्रकट होने के कारण देवी का नाम नाथलदाई देवी पड़ा. जानकार बताते हैं कि मंदिर कभी बाढ़ के पानी से नहीं डूबता. बाढ़ का पानी जितना भी विकराल रूप धारण करे, मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंचकर बाढ़ का जलस्तर कम हो जाता है. मान्यता है कि जब देवी का नथ नदी में गिरा, तब उसने इसी जगह पर मूर्त रूप धारण कर लिया. महानदी के तट पर बसी नाथलदाई हमेशा से यहां के लोगों की रक्षा करती आई हैं.

बाढ़ में भी नहीं डूबता नाथल दाई का मंदिर

पढ़ें:छत्तीसगढ़ का पहला पर्व: प्रकृति की पूजा, हरियाली और खुशहाली का त्योहार 'हरेली'

मंदिर के पीछे पौराणिक कथा

मंदिर की बनावट और उसकी स्थिति को देखें, तो यह नदी के बीच में टापूनुमा स्थान पर एक किनारे में बना हुआ है और चारों ओर से महानदी के जल से घिरा हुआ है. बरसात के दिनों में नदी अपने उफान पर रहती है. जब बाढ़ की स्थिति आती है, तो आसपास के कई गांव-कस्बे डूब जाते हैं, लेकिन मंदिर कभी नहीं डूबता. कहा जाता है कि जब भी बाढ़ आती है, उसका पानी मंदिर की सीढ़ियों के चरण स्पर्श करने के बाद अपने आप उतर जाता है. इस मंदिर की नाथल दाई देवी को ज्ञानी और सुखदायिनी बताते हैं, क्योंकि यह सरस्वती माता के नथ से प्रकट हुई है. आम दिनों में यहां हजारों लोगों की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन कोरोना के कारण अब कम लोग पहुंच रहे हैं.

मां सरस्वती के नथ से प्रकट हुई थी नाथलदाई

पढ़ें:SPECIAL: कृषि उपकरणों के प्रति आस्था और लोकउत्सव का पर्व है 'हरेली'



दूसरे राज्यों से भी पहुंचते हैं श्रद्धालु

कुछ साल पहले तक यहां मंदिर नहीं था, बल्कि सिर्फ पत्थर की संरचना थी, जिसकी सभी पूजा करते थे. बीते 2-3 साल में यहां मंदिर निर्माण किया गया है. मंदिर पहुंचे श्रद्धालु ने बताया कि उनकी आस्था हमेशा से यहां से जुड़ी हुई है. हर साल वे दो बार मंदिर पहुंचते हैं और देवी दर्शन कर मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद लेते हैं. मंदिर के पुजारी कहते हैं कि उनकी कई पीढ़ियां इस मंदिर में पूजा करती आ रही हैं. रायगढ़, ओडिशा और सीमावर्ती समेत अन्य राज्यों के लोग भी यहां पहुंचते हैं. सामान्य दिनों में मंदिर में भारी भीड़ रहती थी, लेकिन अभी कोरोना की वजह से लोग कम आ रहे हैं. लोगों ने बताया कि बरसात के दिनों में जब बाढ़ आती है, तब पूरा इलाका डूब जाता है लेकिन कभी मंदिर नहीं डूबता. मंदिर महानदी के तट पर दो नदियों के संगम पर स्थित है. मान्यता है कि नाथलदाई के दर्शन मात्र से ही लोगों के सारे पाप धुल जाते हैं.

बाढ़ में भी नहीं डूबता नाथल दाई का मंदिर

पढ़ें:VIDEO: मुख्यमंत्री ने मनाई हरेली, गेड़ी चढ़कर, लट्टू नचाकर दी शुभकामनाएं

Last Updated : Jul 20, 2020, 1:10 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details