छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

22 साल से मुक्तिधाम में सेवा दे रहे चौकीदार जर्जर घर में रहने को मजबूर

मुक्तिधाम में चौकीदारी का काम करने वाले मनेंद्रगढ़ के मंगल ने अपनी जिंदगी के 22 साल मुक्तिधाम में रहते हुए गुजार दी. लेकिन मंगल को आज तक ठंग का घर नहीं मिला. न ही किसी जिम्मेदार ने उसकी सुध ली.

By

Published : Jun 11, 2021, 6:14 PM IST

watchman-of-muktidham-living-in-dilapidated-house
मुक्तिधाम का चौकीदार

कोरिया: मनेंद्रगढ़ के मुक्तिधाम (Muktidham) में चौकीदारी का काम करने वाले मंगल ने अपनी जिंदगी के 22 साल मुक्तिधाम में रहते हुए गुजार दिए. लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि उसे रहने के लिए एक ढंग का आशियाना तक नहीं दिया गया. जहां वह अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ राजी खुशी रह सके.

मुक्तिधाम का चौकीदार

नगर पालिका क्षेत्र के मुक्तिधाम में रहने वाले मंगल को आए दिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है. 22 साल से चौकीदार मंगल लकड़ी के गोदाम में अपने परिवार के साथ रहता है. पिछले 22 साल में शासन की किसी भी योजना का लाभ मंगल को नहीं मिला. मंगल को मिलाकर उनका 9 का परिवार है. लेकिन आज तक इनको न तो पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) का लाभ मिला. न ही अन्य योजनाओं का.

घर में टपकता है पानी

भाजपा नगर मंडल महामंत्री रामचरित द्विवेदी ने बताया कि आमाखेरवा इलाके में बने हुए मुक्तिधाम में बीते 22 साल से मंगल नाम का एक चौकीदार अपनी सेवा दे रहा है. जब परिवार के लोग मृतक का अंतिम संस्कार कर वहां से चले जाते हैं, उसके बाद वहां देखरेख करना, साफ सफाई करना और सुरक्षा बनाए रखना मंगल की जवाबदारी होती है. इन 22 साल में मंगल का परिवार भी बड़ा हुआ. लेकिन उसे रहने के लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं दी गई. उसे रहने के लिए जो गोदाम दिया गया है वह पूरी तरह जर्जर हो गया है. बारिश के समय जहां ऊपर से पानी टपकता है तो रात के अंधेरे में जर्जर गोदाम में उसे सांप और बिच्छू का डर बना रहता है.

जवान बेटे की मौत के बाद दुखी पिता ने पेड़-पौधों को मानी संतान, दिन-रात करते हैं देखभाल

जिम्मेदारों ने नहीं दिया ध्यान

आसपास इतना मलबा जमा है कि वहां रहना मुश्किल है. घर के पीछे की सड़क ऊंची होने की वजह से सड़क का पूरा पानी उसके घर घर में घुस जाता है. घर के सामने बनाए गए शेड की हालत देखकर ये आसानी से समझा जा सकता है कि शहर के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर कभी नहीं गया. नहीं तो मंगल के रहने के लिए अभी तक व्यवस्था हो गई होती. बहरहाल मंगल ने अपनी पीड़ा कभी किसी से बयां नहीं की. लेकिन उसका दर्द उसकी आंखों में साफ देखा जा सकता है. जो अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर वहां किसी तरह से गुजर बसर कर रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details