कोरबा: छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन के संयुक्त आह्वान पर 26 नवंबर को देशभर में हड़ताल का आह्वान किया गया था. इस आंदोलन में छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने भी अपना समर्थन दिया है, लेकिन देशव्यापी एक दिवसीय हड़ताल से ज्यादातर कोयलाकर्मियों ने दूरी बनाकर रखी. कोल इंडिया लिमिटेड ने हड़ताल के दिन का आंकड़ा जारी किया है, जिसमें हड़ताल वाले दिन केवल 7 फीसदी कोयले का उत्पादन प्रभावित रहा, जबकि सिर्फ 20 फीसदी कर्मचारी हड़ताल की वजह से काम पर नहीं गए. इससे प्रबंधन को ज्यादातर प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन दूसरी ओर मजदूर नेताओं की चिंता बढ़ गई है.
कोल इंडिया लिमिटेड के SECL अंतर्गत आने वाले 13 एरिया में केंद्र सरकार की श्रमिक और जन विरोधी नीतियों का विरोध किया गया. इसमें हड़ताल में केंद्रीय मान्यता प्राप्त यूनियन के प्रतिनिधियों ने हड़ताल की अगुवाई की. औद्योगिक नगरी होने की वजह से हड़ताल का असर जिले में रहा, लेकिन अपेक्षाकृत यह उतना नहीं रहा, जितना कि मजदूर नेताओं ने उम्मीद की थी. कोयला खदान में एटक, सीटू, एसईकेएमसी इंटक, एचएमएस और इंटक रेड्डी गुट ने हड़ताल में हिस्सा लिया था, तो दूसरी तरफ बीएमएस और एनईएफटीयू ने हड़ताल से दूरी बनाकर रखी थी.
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सिर्फ 7 फीसदी उत्पादन हुआ प्रभावित
एसईसीएल से प्रतिदिन औसतन 4.50 लाख टन कोयले का उत्पादन हो रहा है. हड़ताल के ठीक 1 दिन पहले SECL के सभी एरिया ने मिलकर 4.63 लाख टन से ज्यादा कोयले का उत्पादन किया था. हड़ताल के दिन तीनों शिफ्ट को मिलाकर 3.92 लाख टन कोयला निकाला गया, जो कि बुधवार की अपेक्षा केवल 70 हजार टन कम था. प्रबंधन का कहना है कि 7 भूमिगत और 1 ओपन कास्ट खदान ही ज्यादा प्रभावित रहें हैं, जबकि अन्य खदानों में अच्छी स्थिति रही. 1 सप्ताह के भीतर नुकसान की भरपाई करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे आसानी से पूरा भी कर लिया जाएगा.