कोरबा: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(IMA) के आह्वान पर निजी चिकित्सक एक दिवसीय हड़ताल पर हैं. इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर रूटीन चेकअप बंद हैं. इसके कारण सामान्य मरीज पूरे दिन परेशान होते रहे. डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति दी है, जो कि पूरी तरह गलत है. इससे न सिर्फ इलाज में गुणवत्ता की कमी आएगी, बल्कि झोलाछाप चिकित्सकों के कल्चर को भी बढ़ावा मिलेगा.
IMA की हड़ताल का कोरबा में असर न्यू कोरबा हॉस्पिटल, कृष्णा हॉस्पिटल, ट्रामा सेंटर जैसे जिले के सबसे बड़े अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद रहीं. यहां सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखा गया था, तो कुछ चिकित्सक ऐसे भी रहे जिन्होंने ओपीडी चालू रखी थी. आईएमए संगठन में भी एक गुट ऐसा है जो कि हड़ताल को समर्थन नहीं दे रहा है. कोरोना काल को देखते हुए कई चिकित्सक हड़ताल के पक्ष में नहीं थे. जिले के ज्यादातर नामचीन अस्पतालों में ओपीडी बंद रही. यहां सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखा गया था. मरीज पूरे दिन अस्पताल आते रहे और परेशानी उठाते रहे.
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गेवरा से आए लेकिन नहीं इलाज के लिए भटके
गेवरा से आए परमानंद का कहना है कि वह 25 से 30 किलोमीटर का फासला तय कर अस्पताल पहुंचे हैं. रास्ता भी बेहद खराब है. उनका कहना है कि चिकित्सकों को हड़ताल से दूर रहना चाहिए. इस हड़ताल से बेहद परेशानी होती है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला कार्यकारी अध्यक्ष डॉ जेके दानी का कहना है कि सरकार आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथ चिकित्सकों के समकक्ष लाना चाहती है, उनकी मंशा ठीक नहीं है.
झोलाछाप चिकित्सकों को भी बढ़ावा
उन्होंने सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि इस निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए. यदि ऐसा हुआ तो मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज नहीं मिलेगा. सालों से प्रैक्टिस करने के बाद भी एलोपैथिक चिकित्सक सर्जरी जैसे काम में परफेक्ट नहीं हो पाते इसलिए अगर सरकार ने ऐसा किया तो इससे गुणवत्तापूर्ण इलाज में कमी तो आएगी ही. साथ ही साथ झोलाछाप चिकित्सकों को भी बढ़ावा मिल जाएगा.