कोरबा में मिला मसकली का दीवाना बबलू, ब्यूटी वूमर से लेकर फेंटल तक की बसा रखी है अलग दुनिया
Korba Bird Lover Bablu कोरबा में कबतूरों का एक दीवाना रहता है जिसने कबूतरों की एक अलग दुनिया बसा रखी है. बबलू के पास जर्मन ब्रीड के ब्यूटी वूमर से लेकर फेंटल कबूतर तक मौजूद हैं. बबलू के नायाब कलेक्शन में मसकली नाम का कबूतर भी है जिसे फिल्मी गानों में जगह मिल चुकी है. Korba News
कोरबा:कोरबा के बबलू कबूतरों को पालने के शौकीन हैं. बबलू के पास कई देशों के कबूतरों की ब्रीड मौजूद है. जर्मन ब्रीड ब्यूटी वूमर से लेकर फेंटल और मसकली कबूतर भी बबलू के नायाब कलेक्शन में शामिल हैं. बचपन से ही परिंदों में खास रुचि रखने वाले बबलू ने पहले देशी कबतूरों को पालना शुरु किया. शौक धीरे धीरे परवान चढ़ा और बबूल का शौक जुनून में बदल गया. देशी कबूतरों के साथ साथ बबलू ने विदेशी ब्रीड के कबूतरों का कलेक्शन करना भी शुरु कर दिया. आज बबलू के पास पांच से ज्याद विदेशी नस्ल के कबूतरों की फौज मौजूद है.
कबूतरों को मिलता है मल्टीविटामिन: देशी विदेशी कबूतरों को रखना इतना आसान काम भी नहीं है. मल्टीविटामिन वाले दानों की गोलियां लाकर इनको खिलाया जाता है ताकि इनकी सेहत बुलंद रहे. बबलू के पास बूुखारा ब्रीड का एक कबूतर है जिसके सिर पर चोटी से बाल होते हैं. आंखों के ऊपर जब इनके बाल आ जाते हैं तो उनकी ट्रिमिंग भी करनी पड़ती है. रेसिंग वूमर नाम का एक कबूतर भी इस कलेक्शन में शामिल है जो 500 किलोमीटर की दूरी तय कर अपनी जगह पर पहुंच जाता है. अगर इस कबूतर को ट्रेेंड किया जाए तो कई घंटों का सफल तय कर वहां से सही जगह वापस आ जाता है. रेसिंग वूमर ब्रीड के कबूतर का दिमाग काफी तेज माना जाता है.
कबूतरों का होता है वैक्सीनेशन: कबूतरों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए समय समय पर इनका वैक्सीनेशन भी किया जाता है. कबूतरों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए इनको मल्टीविटामिन और न्यूट्रिशनल फूड भी दिया जाता है. सुबह 8 बजने से लेकर रात के 8 बजे तक बबलू इन कबूतरों की सेवा में लगे रहते हैं. कबूतरों को दाना खिलाने के बाद ही बबलू अपना ब्रेकफास्ट करते हैं. कबूतर भी बबलू से खासा लगाव रखते हैं जैसे ही वो अपने मालिक को देखते हैं कोई उनके हाथों और कोई कंधे तो कोई सिर पर बैठ जाता है, अपनी भाषा में अपने प्यार का इजहार करता है.
परिंदों से करिए प्यार: बबलू के मुताबिक अगर प्रकृति से आपको प्यार करना है तो सबसे पहले प्रकृति में रहने वाले जीवों से प्यार करना होगा. परिंदे इंसान के दोस्त होते हैं ये धरती के उन कीड़ों को खाते हैं जो इंसान के लिए खतरनाक होते हैं चाहे वो खेतों में हों या फिर घरों के आस पास. परिंदों की रक्षा करना उनको दाना पानी देना इंसान का ही काम है. गर्मी के दिनों में परिंदों को पानी और दाना नहीं मिलता, खेत और खलिहान में अनाज नहीं होते, लोगों को चाहिए कि वो परिंदों के लिए पानी और अनाज रखें. परिंदे अगर धरती पर रहेंगे तो इंसान का भी जीवन चक्र चलता रहेगा.