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कोरबा में 12 गांव के किसानों पर मंडरा रहा किसानी से वंचित होने का खतरा

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Published : Jun 3, 2021, 7:42 PM IST

कोरबा के 12 गांवों के किसानों पर खेती-किसानी से होगे वंचित का खतरा मंडरा रहा है. किसान सभा ने सहकारी बैंक कोरबा (Cooperative Bank Korba) पर गंभीर आरोप लगाये हैं.

farmers of 12 villages in Korba
किसानों की समस्या

कोरबा:जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की कोरबा शाखा के अंदर ग्राम सुमेधा में नया धान खरीदी केंद्र खोला (Cooperative Bank Korba) गया है. किसान सभा और वामपंथी नेताओं का आरोप है कि आदिवासी सेवा सहकारी समिति के पास रिकॉर्ड न भेजने के कारण बांकीमोंगरा क्षेत्र के 12 गांवों के किसान इस साल खेती-किसानी से वंचित होने जा रहे हैं.

किसान नेताओं ने बताया कि किसानों को न खाद-बीज मिल रहा है और न लोन. प्रभावित गांवों में सेमीपली, कुमगरी, नागिनभाठा, केन्दईखार, सुमेधा, लाटा, अगारखार, सलियाभाठा, मडवाढ़ोढा, पुरैना, रोहिना और गजरा आदि गांवों के किसान शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने इन गांवों के किसानों के साथ कलेक्टर से शिकायत की है. किसानों को इस संकट से उबारने की मांग की है. किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा के साथ रामेश्वर सिंह कंवर, सुनेश्वर सिंह कंवर, अजित सिंह, शिवरतन सिंह के एक प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर और जिला सहकारी बैंक के मैनेजर को ज्ञापन सौंपा है.

किसानों को नहीं मिल रहा खाद और बीज

छत्तीसगढ़ किसान सभा के कोरबा जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने बताया कि इन 12 गांवों के किसान पहले कनबेरी स्थित सहकारी समिति से संलग्न थे, लेकिन इस साल के अंत में उन्हें सुमेधा में नव स्थापित सहकारी समिति से जोड़ दिया गया. इसी नई समिति के पास उन्होंने पिछले इस वर्ष अपना धान बेचा और भुगतान भी पाया. लेकिन अब खेती-किसानी के लिए समिति उन्हें इस आधार पर खाद-बीज-लोन देने से इंकार कर रही है.

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नई समिति के पास अबतक नहीं आया रिकॉर्ड

पुरानी समिति से इन गांवों के किसानों का कोई रिकॉर्ड उनके पास अभी तक नहीं आया है, जबकि पुरानी समिति का कहना है कि ये रिकॉर्ड उन्होंने कोरबा जिला सहकारी बैंक के पास भेज दिया है. अब बैंक ही संबंधित समिति के पास रिकॉर्ड भिजवाने के लिए जिम्मेदार है.

कोरोना काल में किसान हो रहे परेशान

किसान सभा के नेताओं ने कहा है कि कोरोना काल में भी किसानों ने भुखमरी की मार झेलते कृषि की विकास दर को थामे रखा है. इसके बावजूद बैंकों का रवैया खेती-किसानी को चौपट करने वाला है.

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