कोंडागांव: न हरा पाएंगे इन्हें आंधी तूफान, ये जीतने निकली हैं सारा जहान. मर्दापाल, जिसका नाम अभी तक आपने सिर्फ नक्सली घटनाओं की वजह से सुना होगा, उसकी पहचान अब वहां की बेटियां बनेंगी. यहां के मर्दापाल के कन्या आश्रम में पढ़ने वाली 9 लड़कियां जो 4 साल पहले तक हॉकी के बारे में सिर्फ ये जानती थीं कि ये राष्ट्रीय खेल है, उनका सेलेक्शन नेशनल सब जूनियर और जूनियर हॉकी चयन शिविर के लिए हुआ है.
2016 के पहले इन बेटियों ने न कभी हॉकी स्टिक देखी थी और न ही जूते पहनना जानती थी. आईटीबीपी ने इन्हें ट्रेनिंग देने का बीड़ा उठाया. बाद में खो-खो और कबड्डी खेलने वाली ये लड़कियां हॉकी में मैदान जीतने लगीं. अब हॉकी इंडिया की तरफ से इन्हें परमानेंट आईडेंटिटी कार्ड मिला है, जिससे आने वाले दिनों में इन्हें देश में होने वाली हॉकी प्रतियोगिताओं में नेशनल लेवल तक खेलने का मौका मिल सकता है.
जवान सूर्या स्मिथ दे रहे ट्रेनिंग
नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर के मर्दापाल से इन हुनरों को बाहर निकालने का श्रेय कोंडागांव जिले में पदस्थ पूर्व कमांडेंट सुरेंद्र खत्री को जाता है. उन्होंने इन होनहार लड़कियों को ट्रेंड करने का जिम्मा आईटीबीपी के हॉकी में ट्रेंड जवान सूर्या स्मिथ को दी. सूर्या कहते हैं कि लड़कियां मेहनत और लगन से इस मुकाम तक तो पहुंच गई हैं, लेकिन संसाधन कम हैं. वे वर्तमान में 55 बच्चों को हॉकी सिखा रहे हैं. उनका कहना है कि कन्या आश्रम के पास एक मैदान हॉकी का मिलना चाहिए.