कांकेर : कोयलीबेड़ा में ग्रामीण बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध कर रहे हैं. 103 ग्राम पंचायत के 300 गांव के हजारों ग्रामीण 23 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. चौथे दिन 18 सरपंच, 3 जनपद पंचायत सदस्य, 1 जिला पंचायत सदस्य ने सामूहिक इस्तीफा एसडीएम पखांजूर को सौंप दिया है. ये ग्रामीण करकाघाट और तुमराघाट में पांच दिन तक आंदोलन कर चुके हैं और अब पखांजूर में अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ है. यहां के ग्रामीण अपने साथ राशन और बिस्तर लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं.
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ग्रामीणों का आरोप है कि करकाघाट और तुमराघाट में सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ का कैंप खोल गया है, जिसमें आदिवासियों के देवता विराजमान हैं. उनका आरोप है कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही यह कैंप खोला गया है. कांकेर एडिशनल एसपी गोरखनाथ बघेल ने इस पूरे प्रदर्शन को नक्सलियों के दबाव में बताया है. उन्होंने ETV भारत से कहा है कि 'नक्सली दबाव के चलते आंदोलन किया जा रहा है. कोयलीबेड़ा पखांजूर मेढकी नदी पर पुल का निर्माण किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में विकास होगा. उन्होंने कहा कि विकास विरोधी बात कौन करता है, सब जानते हैं.'
सरकार जमीन हथियाने का कर रही प्रयास: ग्रामीण
कांकेर जिले के कुछ इलाकों में सरकार नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप खोल रही है. 29 नवंबर को कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं, जिसमें करकाघाट और तुमराघाट भी शामिल हैं. बीएसएफ कैंप खुले अभी सिर्फ 20 दिन हुआ है और इसका विरोध करना शुरू कर दिया गया है. ग्रामीण पीलू उसेंडी ने बताया कि सर्व समाज बीएसएफ कैंप, पुलिस प्रशासन और सरकार के विरोध में नहीं है, लेकिन हमारी आस्था को ठेस पहुंचाने के कारण इसका विरोध किया जा रहा है. पेसा कानून का उल्लंघन हुआ है. 5वीं अनुसूची क्षेत्र में ग्रामसभा से बिना पूछे स्थल पर छेड़छाड़ किया गया है, जिससे उनके संस्कृति पर हमला हुआ है और समाज को आघात पहुंचा है. सुरक्षा कैम्प से ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं है. कैंप के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की जा रही है और जमीन को हथियाने का प्रयास किया जा रहा है.
उग्र आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर राशन-पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर बैठ गए हैं. जब तक बीएसएफ का कैंप नहीं हटाया जाएगा, धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा. गायता, पटेल, मांझी मुखिया, समाज प्रमुख और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि हमें कैंप से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिस जगह कैंप खोला गया है, वह आदिवासियों का देवस्थल है और हमारी आस्था का केंद्र है, जहां हमारे देवी-देवता निवास करते हैं. करकाघाट और तुमराघाट में खोले गए कैंप से सर्व समाज के लोगों की आस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. ग्रामीणों की मांग है कि बीएसएफ कैंप हटाया जाए. मांग अनदेखा करने से कोयलीबेड़ा ब्लॉक के 103 ग्राम पंचायत के सरपंच, 25 जनपद पंचायत सदस्य और 2 जिला पंचायत सदस्यों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इसके बाद उग्र आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है.