छत्तीसगढ़

chhattisgarh

By

Published : Jul 3, 2021, 10:59 PM IST

Updated : Jul 3, 2021, 11:07 PM IST

ETV Bharat / state

न सड़क है, न अस्पताल, बिजली पहुंची फिर भी लालटेन युग में जी रहा ये गांव

देश की आजादी को 70 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन आज भी कुछ ऐसे गांव हैं जो विकास से कोसो दूर हैं. हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के डेंगुरजाम गांव (dengurjam village in kawrdha) की. आदिवासी बाहुल्य इस गांव में विकास रूपी चिड़िया ने अब तक कदम नहीं रखा है. गांव जाने के लिए न ही सड़क है और न ही अस्पताल. इस गांव में बिजली के खंबे तो लग गए हैं, लेकिन उसमें करंट नहीं पहुंचा है. डेंगुरजाम गांव के ग्रामीण आज भी लालटेन युवग में जीने को मजबूर हैं. पेश है ETV भारत की यह खास रिपोर्ट.

dengurjam-village-people-are-facing-problems-due-to-lack-of-basic-facilities-in-kawrdha
विकास से कोसो दूर कवर्धा जिले का डेंगुरजाम गांव

कवर्धा: सरकार सुदूर ग्रामीण इलाकों तक विकास की रोशनी पहुंचा देने को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले Kawardha District in chhattisgarh) में जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी जिले के इस गांव में सड़क तक नहीं बन पाई है. स्कूल तो है मगर एक ही रूम का भवन है. बिजली के खंबे तो जरूर हैं, लेकिन उसमें अब तक करंट नहीं पहुंचा है. अगर कोई यहां बीमार पड़ जाए तो उसे इलाज के लिए 20 किलोमीटर दूर ले जाना पड़ता. उसमें भी 10 किलोमीटर मरीज को खाट पर लिटा कर पहुंचाना पड़ता है. ऐसे में इस आदिवासी गांव के लोग बरसात के महीने गांव में कैद होकर जीवन गुजारते हैं. कोई बीमार पड़ गया तो भगवान का ही सहारा है.

विकास से कोसो दूर कवर्धा जिले का डेंगुरजाम गांव

विकास से कोसों दूर कवर्धा जिले का डेंगुरजाम गांव

कहते हैं विकास की सबसे बड़ी परिभाषा शिक्षा, अस्पताल, सड़क, बिजली और पानी होती है, लेकिन अगर ये सुविधाएं नहीं मिल रही हो तो गांव की तरक्की नामुनकिन है. हम बात कर रहे हैं कवर्धा जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर डेंगुरजाम गांव (dengurjam village in kawrdha) की. डेंगुरजाम पहुंचना आसान नहीं है. नेउर गांव से इस गांव तक 10 किलोमीटर तक कच्ची उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर इस गांव तक पहुंचना पड़ता है. इस 10 किलोमीटर की फासला तय करने के लिए कई नदी-नालों को पार कर ग्रामीण गांव पहुंचते हैं. बारिश के दौरान जब नाले उफान पर होते हैं तो ग्रामीण चार माह तक गांव में कैद होने को मजबूर हो जाते हैं, इस बीच गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो खाट के सहारे पगडंडी रास्तों से अस्पताल पहुंचाया जाता है.

डेंगुरजाम गांव के लोग

विकास की राह देख रही 'मंत्री जी' के इलाके की सड़कें

गांव में आज तक नहीं पहुंची बिजली

डेंगुरजाम गांव में बिजली तो पहुंचा दी गई है, लेकिन ग्रामीणों के मकान में अब तक कनेक्शन नही पहुंचा है, जिसके कारण ग्रामीण चिमनी के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर हैं. यही हाल शिक्षा का भी है. गांव में स्कूल तो है, पर भवन काफी जर्जर और एक ही रूम का है. जो कभी भी धराशायी हो सकता है, जहां मासूम बच्चे अपने जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करते हैं. पहली से पांचवी कक्षा तक इस प्राथमिक स्कूल में दो शिक्षक हैं. पर वे कभी आते हैं कभी नहीं आते, ऐसे में आदिवासी बच्चे कैसे पढ़े-कैसे बढ़ें ये बड़ा सवाल है.

डेंगुरजाम गांव के बच्चे

बैगा आदिवासियों की सुध लेने वाला कोई नहीं

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाने वाले बैगा आदिवासियों के लिए सरकार तमाम तरह के शासकीय योजनाएं लागू करने की बात कहती है, लेकिन इन योजनाओं का जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बाद से अब तक इस गांव में कोई जनप्रतिनिधि और सरकार के नुमाइंदे झांकने तक नहीं पहुंचे हैं, जिसके चलते डेंगुरजाम के लगभग दो सौ परिवार मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

एक कमरे का स्कूल भवन

छत्तीसगढ़ के इस गांव में समस्या नहीं समस्याओं का अंबार !

स्वास्थ्य अधिकारी क्या कहते हैं इस बारे में ?

कवर्धा जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर शैलेन्द्र कुमार मंडल ने बताया कि जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्रों मे चिकित्सा अधिकारी समय-समय पर दौरा करते हैं. उन्होंने बताया कि अगर डेंगुरजाम गांव तक स्वास्थ्य अधिकारी नहीं पहुंच पाए हैं, तो जल्द ही वहां स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य का चेकअप किया जाएगा. आगे स्वास्थ्य संबंधित समस्या वहां नहीं होगी इसके लिए भी रणनीति बनाई जाएगी.

कलेक्टर ने कहा- तत्काल लिया जाएगा संज्ञान

इस मामले में जिला कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने कहा कि, जल्द ही गांव में सड़क निर्माण कराया जाएगा. इसके लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा. साथ ही घरों में बिजली कनेक्शन, स्कूल भवन की मरम्मत भी कराई जाएगी. बहरहाल प्रशासन के आश्वासन के बाद अब देखना होगा कि ग्रमीणों की समस्याएं कब दूर होती है या फिर आदिवासी बैगा परिवार आगे भी इसी तरह की जिंदगी बिताने को मजबूर रहेंगे.

Last Updated : Jul 3, 2021, 11:07 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details