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पानी के लिए तरस रहे रेड जोन वाले क्षेत्र, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

कोर्ट ने मेमो जारी करते हुए जिले में जल संकट को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से जवाब तलब किया है. सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, कलेक्टर जशपुर, कार्यपालन यंत्री पीएचई, मुख्य नगरपालिका अधिकारी को 29 मई तक प्रस्तुत होने का समय दिया है.

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Published : May 29, 2019, 7:21 PM IST

विशेष न्यायालय

जशपुर: जिले में लगातार बढ़ रहे जल संकट को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता ने मानव अधिकार उल्लंघन को लेकर विशेष न्यायालय में याचिका दायर की है. मामले में विशेष न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया गया है. कोर्ट ने मेमो जारी करते हुए जिले में जल संकट को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से जवाब तलब किया है. सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, कलेक्टर जशपुर, कार्यपालन यंत्री पीएचई, मुख्य नगरपालिका अधिकारी को 29 मई तक प्रस्तुत होने का समय दिया है.

पानी के लिए तरस रहे रेड जोन वाले क्षेत्र,

जल संकट पर प्रस्तुत याचिका में न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए आवेदकगणों से कहा है कि जिले में प्रभावित क्षेत्रों का चिन्हकित करें. साथ ही यह जानकारी संकलित करें कि पानी का घोर संकट कहा है. जल संकट वाले क्षेत्र में किए जा रहे उपाय की जानकारी प्रस्तुत करें. पानी के संबंध और भी कोई भी जानकारी आए, तो न्यायालय में प्रस्तुत करें.

जमीनी वाटर लेबल 1000 फिट के आस-पास
इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रेमी सत्यप्रकाश तिवारी का कहना है कि, इस क्षेत्र में पानी की समस्या है. भारत सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वे में इस क्षेत्र को पानी के लिए रेड जोन घोषित किया गया है. उन्होंने कहा कि, आस-पास के इलाकों में जमीनी वाटर लेबल 1000 फिट के आस-पास है, जिससे जनता परेशान हैं. साथ ही ऐसे कई इलाके हैं, जहां काफी दूर से पानी लाना पड़ता है, जिससे स्पष्ट दिखाई पड़ता है कि मानव अधिकार का उल्लंघन हो रहा है.

पानी के लिए महिलाएं को दूर-दूर जाना पड़ रहा
याचिकाकर्ता एवं समाजसेवी रामप्रकाश पांडेय ने बताया कि, जिले में जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है. गांव में पीने के पानी के लिए महिलाएं को दूर-दूर जाना पड़ता है. इन सभी को देखते हुए मानव अधिकार लेकर विशेष न्यायालय में मानव अधिकार अधिनियम धारा 30 के तहत याचिका प्रस्तुत की गई है, जिसमें यह मांग की गई है कि हर व्यक्ति को स्वच्छ जल पीने का अधिकार है, लेकिन यहां की जनता वंचित है. प्रशासन इस विषय पर कोई काम नहीं कर रहा है. वहीं न्यायालय ने 29 मई तक जवाब प्रस्तुत करने का समय दिया है.

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