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Published : Nov 13, 2019, 8:22 PM IST

Updated : Nov 13, 2019, 10:11 PM IST

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पिता की अर्थी को 7 बेटियों ने दिया कंधा, मुखाग्नि के वक्त भर आई लोगों की आंखें

जिले के डबरा ब्लॉक में नरियरा गांव में रिटायर्ड शिक्षक धरमदास कुर्रे की मृत्यु के बाद उनकी सात बेटियों उषा, नूतन, देवकी, अंगा, तुलसी और कमला  ने मिलकर अपने पिता का अंतिम संस्कार किया.

पिता की अर्थी को 7 बेटियों ने दिया कंधा

जांजगीर-चांपा: कितना भाग्यशाली था ये पिता जिसके पास सांसें रही तो बेटियों की सेवा मिली और जब जीवन ने साथ छोड़ा तो बेटियों ने ही कंधे पर उठाकर विदा किया. सामाजिक बंधनों को तोड़ती, मान्यताओं को नई दिशा देती और भावुक करती ये तस्वीरें हैं जांजगीर चांपा के डबरा ब्लॉक के नरियरा गांव की. ये 7 बेटियां एक शिक्षक की हैं, जिनका गुजरना भी समाज को एक संदेश दे गया.

पैकेज.

बरसों से चली आ रही समाज की परंपराओं और मान्यताओं को तोड़ते हुई ये तस्वीरें जिले के नरियरा गांव से सामने आई. उसे जानकर और देखकर आपकी आंखें भर आएंगी. यहां सात बेटियों ने मिलकर अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और मुखाग्नि दी. सातों बहनों ने मिलकर पिता के अंतिम संस्कार की सारी रस्में पूरी की.

जिले के डबरा ब्लॉक में नरियरा गांव में रिटायर्ड शिक्षक धरमदास कुर्रे की मृत्यु के बाद उनकी सात बेटियों उषा, नूतन, देवकी, अंगा, तुलसी और कमला ने मिलकर अपने पिता का अंतिम संस्कार किया.

सातों बहनों का कहना है कि, 'दिवंगत पिता धरमदास कुर्रे ने कभी भी बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी. हमेशा हमें बिना बेटे-बेटियों में फर्क किए पूरा प्यार दिया. यही वजह है कि जब उनकी अंतिम यात्रा का समय आया तो हम सभी बहनों ने मिलकर बेटों की तरह अपना कर्तव्य निभाया.'

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हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां बेटे की चाह और बेटे के धार्मिक संस्कारों को पूरा करने का विशेषाधिकार होने की वजह से यहां आज भी बेटियों को बेटों के बराबर तरजीह नहीं मिलती, लेकिन इस धारणा को इन सातों बहनों ने मिलकर तोड़ दिया है. इसके साथ ही समाज में एक मिसाल पेश की है

Last Updated : Nov 13, 2019, 10:11 PM IST

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