जगदलपुर: 6 दिनों तक बंधक बनाये रखने के बाद आखिरकार नक्सलियों ने कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को रिहा कर दिया है. 3 अप्रैल शनिवार को हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के बाद कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. गुरुवार को मध्यस्थता के लिए गई 11 सदस्यीय टीम के समक्ष देर शाम नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर जवान को रिहा कर दिया है. मध्यस्थता के लिए गए इस टीम में सबसे बुजुर्ग और प्रतिष्ठित धर्मपाल सैनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. (Padmashree Dharmapal Saini)
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सामजसेवी हैं धर्मपाल सैनी 'ताऊ जी'
91 साल के धर्मपाल सैनी को पूरे प्रदेश में ताऊ जी के नाम से जाना जाता है. धर्मपाल सैनी एक समाजसेवी के साथ-साथ माता रुकमणी कन्या आश्रम का संचालन करते हैं. जगदलपुर शहर के साथ-साथ बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके आश्रम संचालित होते हैं. धर्मपाल सैनी के आश्रम में पढ़कर कई बालिकाओं ने राष्ट्रीय खेलों में शिरकत करने के साथ प्रथम पुरस्कार जीतकर बस्तर का नाम रोशन किया है.
बस्तर में शिक्षा की अलख जला रहे धर्मपाल सैनी
धर्मपाल सैनी भी एक खिलाड़ी रह चुके हैं. मध्य प्रदेश के धार जिले में रहने वाले धर्मपाल सैनी आज से 4 दशक पहले बस्तर आए और यहां शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. जब ताऊ जी 1976 में बस्तर में आए तो यहां साक्षरता दर 1% के आसपास था. साक्षरता दर को 65 फीसदी पहुंचाने में सैनी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. यही वजह है कि साक्षरता दर को सुधारने के साथ-साथ बस्तर के आदिवासी लड़कियों के लिए माता रुकमणी देवी आश्रम के अंतर्गत उन्होंने एक के बाद एक कुल 37 आवासीय स्कूल खोले हैं. इनमें से कई स्कूल नक्सल समस्या से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में भी हैं.