जगदलपुर: आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में आदिवासी परंपराओं और कलाकृतियों को संजोकर रखने के लिए प्रदेश का पहला ट्राइबल म्यूजियम आकार ले रहा है. संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के आसना गांव में वनों के बीच प्राकृतिक परिवेश में आदिवासी संग्रहलय का निर्माण चल रहा है.
बस्तर में आकार ले रहा प्रदेश का पहला ट्राइबल म्यूजियम करोड़ों रुपए की लागत से आसना गांव के करीब 6 एकड़ एरिया में ट्राइबल म्यूजियम का निर्माण किया जा रहा है. जहां आदिवासियों की जीवन शैली की झलक देखने मिलेगी. वहीं शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग सेंटर भी खुलेगा. बस्तर कलेक्टर ने बताया कि आने वाले 3 से 4 महीनों में यह ट्राइबल म्यूजियम पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा.
पर्यटकों को लुभाने की योजना
जिला प्रशासन ने बस्तर अकादमी ऑफ डांस आर्ट एंड लैंग्वेज के बैनर तले आदिवासी संस्कृति से पर्यटकों को लुभाने की योजना बनाई है. प्राकृतिक सौंदर्य, सघन वन और आदिवासी सभ्यता बस्तर के प्रति पर्यटकों के आकर्षण की प्रमुख वजह है.
बस्तर में आकार ले रहा प्रदेश का पहला ट्राइबल म्यूजियम मनमोहक झरने, प्राकृतिक सौंदर्य से भरा बस्तर
जगदलपुर के आसपास ही तीरथगढ़, चित्रकोट जैसे मनमोहक जलप्रपात, प्राकृतिक गुफाएं, पुरातात्विक महत्व के मंदिर आदि हैं. अब आसना में बन रहे ट्राइबल म्यूजियम में भी इनका ठिकाना बनेगा. बस्तर कलेक्टर ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य बस्तर की कला, संस्कृति और भाषा से देश दुनिया से बस्तर पहुचने वाले पर्यटकों को बस्तर के आदिवासी संस्कृति से परिचित कराना है.
'कला संस्कृति और भाषा से लोगों को रूबरू कराना उद्देश्य'
बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने जानकारी देते हुए बताया कि ट्राइबल म्यूजियम बनाए जाने का मुख्य उद्देश्य बस्तर की कला संस्कृति और भाषा से लोगों को रूबरू कराना है. बस्तर आने वाले पर्यटक ही नहीं सरकारी अधिकारी-कर्मचारी भी हल्बी, गोंडी और बस्तर की अन्य स्थानीय बोलियों की ट्रेनिंग यहां ले सकेंगे. समय-समय पर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार और ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाएंगे.
बस्तर में आकार ले रहा प्रदेश का पहला ट्राइबल म्यूजियम बस्तर में बनेगा आदिवासी संग्रहालय और कनिष्ठ चयन बोर्ड
6 एकड़ में म्यूजियम और ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण कार्य जारी
आसना मोटेल और आसपास के जंगल को मिलाकर करीब 6 एकड़ में आदिवासी संग्रहालय कला केंद्र और ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण का कार्य जारी है. यहां बस्तर की जनजातियों की सभ्यता कला, नृत्य भाषा आदि पर वोकेशनल ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. यह केंद्र शहर के अन्य आयोजनों को भी मंच प्रदान करेगा. यहां एक बड़ा खुला लॉन का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें एक साथ 1 हजार से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं. वहीं बांस, पत्थर और दूसरे स्थानीय संसाधनों से एक ओपन थिएटर बनाया जा रहा है. जहां 300 दर्शकों के बैठने का इंतजाम रहेगा.
बस्तर में आकार ले रहा प्रदेश का पहला ट्राइबल म्यूजियम लग्जरी झोपड़ी, पारंपरिक व्यंजन परोसे जाएंगे
इस थिएटर को मुख्य रूप से आदिवासी नृत्य कलाओं के ट्रेनिंग और प्रदर्शन के लिए बनाया जा रहा है. मंच इतना बड़ा है कि समय-समय पर इसका दूसरा उपयोग भी किया जा सकता है. वहीं 50 से ज्यादा लोगों के रहने के लिए लग्जरी झोपड़ी, स्वीट डॉरमेट्री बनाई जा रही है. साथ ही एक रेस्टोरेंट भी होगा जहां बस्तर के पारंपरिक व्यंजन परोसे जाएंगे.
बस्तर में आकार ले रहा प्रदेश का पहला ट्राइबल म्यूजियम बस्तर की संस्कृति और परंपरा को सहेजने की कोशिश
संग्रहालय के माध्यम से बस्तर के मुरिया, भतरा, धुरवा, दोरला, गोंड आदि जनजातियों के संस्कृति और परंपरा को सहेजने की कोशिश की जा रही है. यहां जनजातियों के रहन-सहन, कला उपकरण आदि की जीवंत प्रदर्शनी भी तैयार की जा रही है. इसमें जनजातियों के श्रृंगार, देवी देवता, मृतक स्तम्भ, कृषि और शिकार के औजार, नृत्यों के मॉडल, वाद्य यंत्र, चित्रकला, इतिहास उनके विशिष्ट शैली के आवास आदि का प्रदर्शन किया जाएगा.
बस्तर में आकार ले रहा प्रदेश का पहला ट्राइबल म्यूजियम बंदूक-बारूद नहीं अब किताबों और लाइब्रेरी से बन रही बस्तर की पहचान
'ट्राइबल म्यूजियम एक अच्छी पहल'
बस्तर के आदिवासी परंपरा और जीवन शैली के जानकार राजेंद्र बाजपेयी का कहना है कि हमेशा से ही यह देखा गया है कि दूरदराज से घूमने आने वाले पर्यटक बस्तर तो जरूर घूमने आते हैं, लेकिन यहां केवल बस्तर के जलप्रपात, नैसर्गिक सौंदर्यता को ही देखकर लुफ्त उठा पाते हैं, लेकिन बस्तर की असल आदिवासी संस्कृति, कला, रहन-सहन और आदिवासियों के व्यंजन से अनजान रह जाते हैं. ऐसे में राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने ट्राइबल म्यूजियम का निर्माण किए जाने की एक अच्छी पहल है. इस ट्राइबल म्यूजियम के माध्यम से ना सिर्फ पर्यटकों को आदिवासियों के रहन-सहन, जीवन शैली की जानकारी मिल पाएगी. बल्कि इस म्यूजियम में आदिवासी नृत्य और यहां की पौराणिक वस्तुएं और आदिवासियों के वेशभूषा और अन्य चीजों से पर्यटक रूबरू हो सकेंगे. निश्चित रूप से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
'म्यूजियम निर्माण से बढ़ेगा रोजगार और पर्यटन'
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का कहना है कि राज्य शासन ने संभागीय मुख्यालय में खोले जा रहे ट्राइबल म्यूजियम एक बहुत ही अच्छी पहल है. उनका कहना है कि जिला प्रशासन को चाहिए कि इस ट्राइबल म्यूजियम में केवल आदिवासी कल्चर की ही जानकारी पर्यटकों को मिले, जिससे बस्तर में मौजूद सभी जातियों के विशेष रहन-सहन, जीवन शैली, वेशभूषा और व्यंजनों की जानकारी पर्यटकों को मिल सके. इसके अलावा पर्यटक इस संग्रहालय के माध्यम से बस्तर के आदिवासियों की संस्कृति, कला और परंपरा से भी रूबरू हो सकें. ट्राइबल म्यूजियम के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा आदिवासी युवक-युवतियों को रोजगार भी शासन दिला सके. प्रकाश ठाकुर का कहना है कि देश दुनिया से आने वाले पर्यटक इस ट्राइबल म्यूजियम के माध्यम से बस्तर के आदिवासियों की सभी तरह की जानकारी लेने के साथ ही आदिवासी समाजों के अलग-अलग नृत्यों का रंग मंच के माध्यम से लुत्फ उठा सकें.