गरियाबांद:पेसा कानून में केंद्र सरकार की ओर से किए गए संशोधन का विरोध करते हुए आदिवासियों ने रैली निकाली. इस दौरान प्रशासन ने आदिवासियों के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को कलेक्टर से मुलाकात करने की अनुमति दी.
एक ओर जहां आदिवासियों के प्रतिनिधि कलेक्ट्रेट के भीतर जिलाधिकारी के सामने अपनी बात रख रहे थे, वहीं दूसरी ओर रैली में बाकी आदिवासी मूसलाधार बारिश में भींगते हुए उनका इंतजार कर रहे थे.
आदिवासियों ने रैली निकाली पुलिस के साथ झूमाझटकी
कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के बाद आदिवासियों ने वन मंडल कार्यालय का घेराव किया. इस दौरान कार्यालय के बाहर आदिवासियों और पुलिस के बीच झूमाझटकी भी देखने को मिली. बता दें कि सुरक्षा के मद्देनजर वन मंडल कार्यलाय के बाहर बेरिकेड्स लगाए गए थे, ताकि प्रदर्शनकारी अंदर न जा सकें. इस दौरान वन विभाग के अफसरों ने आदिवासियों के प्रतिनिधियों से बेरिकेड्स के आमने सामने खड़े होकर बातचीत की.
साल 1927 में बनाए गए कानून में संशोधन के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट का आदिवासी पुरजोर विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा वन विभाग की ओर से वन अधिकार पत्र में देरी और आदिवासी किसानों को हो रही तकलीफ को लेकर आदिवासियों में नाराजगी है.
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इस दौरान आदिवासियों ने किसान के खेत पर कब्जा बताकर फसल पर सर्व नाशक दवाई छिड़ककर पूरी तरह बर्बाद करने का आरोप लगाया. आदिवासियों का कहना है कि वो अपने अधिकारों के लिए लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे. कुल मिलाकर बारिश के बीच आदिवासियों का यह शक्ति प्रदर्शन खूब चर्चा में रहा. अब देखना यह है कि आदिवासियों की सरकार कब आदिवासियों की आवाज सुनेगी और कब उनकी मांगे पूरी होंगी.