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धमतरी: फिर शुरू हुई 10 साल पुराने किसान आंदोलन मामले की जांच, आरोपी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग

10 साल पुराने किसान आंदोलन का जिन्न अब फिर बोतल के बाहर आ गया है. 9 नवम्बर को हुए किसान आंदोलन के बाद खाकी वर्दी एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई. पहले कार्रवाई के नाम पर जुल्म और दहशत के कारोबार ने पुलिस महकमे के दामन को दागदार कर दिया. बहरहाल अब कुछ किसान उस समय हुए पुलिस कार्रवाई को लेकर नाराज हैं और पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

किसान आंदोलन मामले की जांच

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Published : May 12, 2019, 12:11 PM IST

धमतरी: जिले में हुए 10 साल पुराने किसान आंदोलन का जिन्न अब फिर बोतल के बाहर आ गया है. धमतरी पुलिस ने मामले की दोबारा जांच शुरू कर दी है. ये जांच किसान कांग्रेस से जुड़े नेताओं की शिकायत और मांग पर दोबारा शुरू की गई है. किसान नेताओं ने धमतरी के तत्कालीन पुलिस अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इनमें गलत ढंग से किसानों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करना, जांच के नाम पर प्रताड़ित करना और मारपीट का आरोप शामिल है.

पुलिस की लाठीचार्ज से भड़की थी हिंसा
दरअसल 9 नवंबर, 2009 को धमतरी में विभिन्न मांगों को लेकर किसानों ने रैली निकाली थी. किसानों ने धरना दिया और इस दौरान किसानों ने एनएच 30 को भी जाम कर दिया था. इधर इस जाम को खोलने के लिए पुलिस ने भी दबाव बनाया. लेकिन किसान उग्र हो गए थे और पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी थी. तब ये हिंसा और भड़क गई और पूरे शहर में फैल गई थी. कई सरकारी और निजी वाहनों को जला दिया गया. दंगाइयों ने कई लोगों से मारपीट की और लूटपाट भी की थी. जिसे रोकने के लिये महासमुंद और रायपुर से भारी पुलिस बल बुलाना पड़ा. तब जाकर ये आग शांत हुई.

किसानों पर बरपा पुलिस का कहर
9 नवम्बर को हुए किसान आंदोलन के बाद खाकी वर्दी एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई. पहले कार्रवाई के नाम पर जुल्म और दहशत के कारोबार ने पुलिस महकमे के दामन को दागदार कर दिया. आरोप है कि मुकदमा दर्ज करने का खौफ दिखाकर पुलिस के जवान ग्रामीण इलाकों में अवैध उगाही करने से भी नहीं चूके, जिसके चलते गांवों में दो चार महीने तक सन्नाटा पसर गया और मंडी विरान हो गई थी.

खाकी वर्दी पर उठने लगे सवाल, पूछताछ के नामपर जुल्म का आरोप
अनिल दुबे ने कहा कि किसान आंदोलन के बाद उपजी हिंसा से धमतरी इलाके के किसान वैसे ही खौफजदा थे क्योंकि कार्रवाई के नाम पर पुलिस ने जिन लोगों को पकड़ा और पूछताछ के नाम पर जो जुल्म का नजारा पेश किया, उससे आंदोलन में शामिल हर किसान सिहर सा गया. उन्हे नहीं सूझ रहा था कि कैसे आंदोलन एकाएक बेकाबू हो गया और उपद्रवी अपने करतूतों को अंजाम देने में कामयाब हो गए.

पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
शहर के इतिहास मे पहली बार हुए इस हिसंक आंदोलन से शहरवासी भी काफी खौफजदा थे और आलम ये था कि घटना के दो दिन बाद भी वो सड़क पर आने से कतराते थे. वहीं लोग इसे कभी ना भूलनेवाला मंजर मानते हैं. बहरहाल अब कुछ किसान उस समय हुए पुलिस कार्रवाई को लेकर नाराज हैं और पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

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