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Published : Jun 30, 2019, 7:13 PM IST

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नंदराज पर्वत की लड़ाई और आश्वासन के 15 दिन हुए पूरे, नहीं हो सकी जांच

आदिवासियों को एकजुट करने के लिए जिले में सामाजिक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई.

नंदराज पर्वत की लड़ाई और आश्वासन के 15 दिन हुए पूरे, नहीं हो सकी जांच

दंतेवाड़ा: जिले के आदिवासियों को एकमंच और एकजुट करने के लिए सामाजिक बैठक का आयोजन किया गया. इसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई. सबसे प्रमुख मुद्दा 13 नम्बर एनएमडीसी खदान को अडानी को दिये जाने का रहा. इस दौरान जिलेभर के तमाम राजनीतिक दलों के नेता समाजिक मंच पर मौजूद रहे.

नंदराज पर्वत की लड़ाई और आश्वासन के 15 दिन हुए पूरे, नहीं हो सकी जांच

बता दें कि नंदराज पर्वत की लड़ाई को 15 दिन हो चुके हैं, लेकिन आदिवासियों की मांग अब तक पूरी नहीं हो पाई है. शासन से मिले 15 दिन में जांच का आस्वासन भी पूरा नहीं हुआ है. इससे पंचायत संघर्ष समिति और सर्वआदिवासी समाज के पदाधिकारी बेहद उदास हैं.

साप्ताहिक बाजार में बनी रणनीति
उनका कहना है कि सरकार ने उनके साथ छल किया है. आदिवासी एक बार फिर से छलावे का शिकार हो गए हैं. नंदराज पर्वत के लिए आदिवासियों की लड़ाई बेहद नाटकीय मोड़ पर है और अब कोया समाज के पदाधिकारियों का गठन हुआ है. साप्ताहिक बाजार में रणनीति बनाई गई है.

प्रतिनिधि मंडल ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया
इस मामले में सर्वआदिवासी समाज का कहना है कि दस्तावेजों की जांच नहीं की गई है. साल 2014 में हुई ग्रामसभा के लोगों की जांच की जा रही है, उनसे भी दस्तावेज मांगे जा रहे हैं. आदिवासी समाज ने यह भी बताया कि कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा से मिलना था, लेकिन वे रविवार को वहां मौजूद नहीं थे. यहीं वजह है कि नंदराज पर्वत की लड़ाई लड़ने वाला प्रतिनिधि मंडल ने कार्यक्रम की तारीख को आगे बढ़ाया है. उन्होंने एक बार कलेक्टर से मिलने के बाद नंदराज की लड़ाई को आगे लड़ने की बात कही है.

पूरा बस्तर 5वीं अनुसूची के दायरे में
आदिवासी समाज ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारी अडानी ग्रुप के लिए कुछ भी कर रहे हैं और कुछ भी बोल रहे हैं. पूरा बस्तर 5वीं अनुसूची क्षेत्र के दायरे में है. हिरोली पंचायत को 5वीं अनुसूची क्षेत्र के दायरे से बाहर कर रहे हैं. इन्हीं सारे सवालों को लेकर कलेक्टर से मिलने की बात आदिवासी समाज कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि सच तो ये है कि ग्राम सभा की अध्यक्षता सरपंच को करने का अधिकार ही नहीं है.

समाज के पदाधिकारी बल्लू भोगामी ने कहा कि पर्वत आदिवासियों का ही है. इसे बचाने के लिए फिर से आंदोलन किया जाएगा.

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