दंतेवाड़ा:चितालूर गांव की एक 12वीं पास महिला के सामने जब रोजी-रोटी का संकट आया तो उसने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिससे आज न सिर्फ उसके घर को रोटी मिल रही है, बल्कि उसकी सोच ने कई घरों को रोशन किया है. खुद को बेरोजगारी से निकालने के लिए उसने जो कदम उठाये उससे आज पूरे गांव की महिलाओं को रोजगार मिला है.
ये कहानी है, दंतेवाड़ा जिले के चितालूर गांव की निकिता मरकाम की. जो अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती है. भरे-पूरे परिवार के सामने जब रोजी-रोटी का संकट आया और जब कहीं से भी रोजगार मिलने की उम्मीदें खत्म हुई तो निकिता ने स्व-सहायता का सहारा लिया और गांव में ही स्व-सहायता समूह का गठन कर लिया. इसके बाद निकिता ने खुद के साथ गांव की महिलाओं को स्व-सहायता समूह में जोड़ना शुरू कर दी और देखते ही देखते एक बड़ा समूह खड़ा कर दिया. जो आज अचार, पापड़, बड़ी और ईंट निर्माण कर रहा है. इससे गांव की कई महिलाओं को रोजगार मिला है.