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बिलासपुर : नहीं थम रहा रेत खनन का खेल, नदियों का हो रहा बेधड़क दोहन

बिलासपुर के मस्तूरी की लीलागर नदी में लगातार अवैध उत्खनन हो रहा है. नदी में पानी होने के बावजूद लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पानी में डुबकी लगाकर रेत को बाहर निकालकर डंप कर रहे हैं.

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Published : Oct 1, 2020, 3:17 PM IST

Updated : Oct 1, 2020, 5:17 PM IST

sand excavation in masturi of bilaspur
रेत खनन का खेल

बिलासपुर :मस्तूरी मुख्यालय के ग्राम पंचायत तेंदुआ मुड़पार में लीलागर नदी से अवैध रेत उत्खनन का मामला सामने आया है. स्थानीय लोगों की शिकायत है कि रेत माफिया लीलागर नदी से बेधड़क रेत के अवैध खनन कर मोटी रकम ऐंठने में लगे हुए हैं. नदी में पानी होने के बावजूद लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पानी में डुबकी लगाकर रेत को बाहर निकालकर डंप कर रहे हैं. रेत माफिया इसे मनमाने रेट में बेच रहे हैं. इस काम में नाबालिग बच्चों भी काम कर रहे हैं. ग्राम पंचायत ग्रामीणों से इस विषय में जानकारी ली गई तो उन्होंने अपने बचाव करते हुए किसी भी बात की जानकारी नहीं दी और मामले से पल्ला झाड़ लिया.

रेत खनन का खेल

अवैध रेत खनन की जानकारी क्षेत्रीय खनिज विभाग और थाना क्षेत्र के लोगों को भी पता है. बावजूद इसके किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है. लिहाजा अवैध रेत खनन के चक्कर में पानी में डूब-डूब कर रेत निकालने के नाम से किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका भी जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायत तेंदुआ मुड़पार के लीलागर नदी में सुबह 5 बजे के आसपास कई दर्जनों ट्रैक्टरों से अवैध रेत परिवहन किया जाता है.

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प्रशासन के नाक के नीचे हो रहा काम

इससे पहले भी बिलासपुर के अरपा नदी से भी अवैध रेत उत्खनन का मामला सामने आया था. लेकिन ये तमाम गतिविधियां प्रशासन के नाक के नीचे होती रहती है और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी. लिहाजा इन मामलों में प्रशासनिक मिलीभगत की शिकायतें भी आती रहती हैं. अरपा नदी के शहरी क्षेत्र से लगे ग्रामीण इलाके मंगला बस्ती की ओर से अवैध उत्खनन को बेधड़क देखा जा सकता है.

काला कारोबार बेधड़क चल रहा

खनिज अधिकारी इन मामलों में सिर्फ कार्रवाई का आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं लेकिन कार्रवाई होती नहीं दिखती. रेत उत्खनन के मामले नदियों के संरक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह काला कारोबार बेधड़क चलता रहता है, जिसका खामियाजा नदियों के दोहन के रूप में उठाना पड़ता है.

Last Updated : Oct 1, 2020, 5:17 PM IST

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