बिलासपुरः पुरातत्व विभाग की लापरवाही का यह आलम है कि वर्षों पुराना पुरातत्व संग्रहालय जर्जर स्थिति में है. संग्रहालय की देख-रेख करने वाला कोई नहीं है. अनदेखी के चलते बेशकीमती मूर्तियां खराब हो रही हैं. वहीं जर्जर भवन होने से मूर्तियों की कोई सुरक्षा भी नहीं है.
देखरेख के अभाव में बदहाल प्राचीन मूर्ति संग्रहालय खुद इतिहास बनने की कगार पर प्राचीन मूर्तियां
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते ऐतिहासिक प्राचीन मूर्तियां अब खुद इतिहास बनने की कगार पर पहुंच गई हैं. पूरे विश्व भर में भारत का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बहुत ही पुराना माना जाता है. मानव सभ्यता के सबसे आधुनिक दौर में जीवन को प्रस्तुत करती प्राचीन कालीन मूर्तियां गौरवशाली इतिहास को गढ़ती हैं.
खुदाई के समय मिली थी प्राचीन मूर्तियां
छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर का इतिहास भी बहुत अधिक पुराना और गौरव से भरा हुआ है. बिलासपुर जिले के मल्हार, रतनपुर, तालागांव के अलावा कई इलाकों में खुदाई के दौरान ये प्राचीन मूर्तियां मिली थीं. पुरातत्व संग्रहालय में रखी ऐतिहासिक प्राचीन मूर्तियां और शिलालेख बहुत पराने हैं.
टाउन हॉल परिसर में बना है संग्रहालय
बिलासपुर के टाउन हॉल परिसर में स्थित संग्रहालय में हजारों साल पुरानी मूर्तियां रखी हुई हैं. बेशकीमती मूर्तियों की पूछ-परख जहां दुनियाभर में की जाती है. वहीं अपनी गौरवशाली गाथा को समेटे इन मूर्तियों को देखने वाला यहां कोई नहीं है. यहां भवन भी जर्जर हो चला है.
घासीदास संग्रहालय की स्मारिका में अंकित है आजादी के परवानों के 209 नाम
प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
शासन की उपेक्षा के चलते पुरातत्व विभाग के भवन और यहां की रखी मूर्तियां अपने अस्तित्व को खोती जा रही हैं. इस संग्रहालय के जर्जर भवन में बरसात का पानी टपकता है. भवन की दीवारों में जगह-जगह दरारें आ गई हैं. वर्षों पुराना भवन अपनी जीर्णोद्धार की राह देख रहा है. लेकिन शासन-प्रशासन की नजर इसपर नहीं पड़ रही है.