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सीमेंट फैक्ट्रियां बनीं जी का जंजाल, घटते जलस्तर से लोग बेहाल

बलौदा बाजार में कुल 6 सीमेंट संयंत्र स्थापित हैं. ये कंपनियां शासन-प्रशासन के नियमों को ताक में रखकर संचालित की जा रही हैं. इस कारण वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ पानी का स्तर भी लगातार घटता जा रहा है.

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Published : Jun 5, 2019, 2:43 PM IST

सीमेंट फैक्ट्रियां बनी जी का जंजाल, घटते जलस्तर से लोग बेहाल

बलौदा बाजार:एक ओर जहां आज सारा देश विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. वहीं दूसरी ओर जिले के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. विकास के नाम पर सीमेंट कंपनियां स्थापित की गई थी. लेकिन आज यही कंपनियां जिले में बढ़ते प्रदूषण का कारण बन रही हैं.

सीमेंट फैक्ट्रियां बनी जी का जंजाल, घटते जलस्तर से लोग बेहाल

जिले में कुल छह सीमेंट प्लांट
बलौदा बाजार में कुल 6 सीमेंट संयंत्र स्थापित हैं. ये कंपनियां शासन-प्रशासन के नियमों को ताक में रखकर संचालित की जा रही हैं. इस कारण वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ पानी का स्तर भी लगातार घटता जा रहा है, इसका खामियाजा यहां रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

प्लांट के आस-पास प्रदूषण का स्तर ज्यादा
सीमेंट कंपनियों के आसपास के गांव और वहां रहने वाले लोगों की स्थिति बेहद खराब है. कंपनियों से निकलने वाला डस्ट लोगों के घरों में बैठ जाता है. वहीं ये डस्ट ग्रामीणों के खेत और बाड़ियो घुस कर उन्हें प्रदूषित कर रहा है. इसकी वजह से फसलों को काफी नुकसान हो रहा है. वहीं सब्जी भी प्रदूषण के कारण खराब हो रही हैं. साथ ही धूल की वजह से लोगों को सांस और त्वचा की बीमारियां होती जा रही हैं.

प्रदूषण के बराबर नहीं लगाए जाते पेड़
कंपनियों को नियमानुसार जितना प्रदूषण किया जाता है उससे ज्यादा संख्या में पेड़ लगाने होते हैं. खानापूर्ति के सीएसआर मद से कंपनियां वृक्षारोपण करती हैं लेकिन जितनी संख्या में वृक्षारोपण होना चाहिए उतनी मात्रा में पेड़ नहीं लगाए जाते हैं.

उपजाऊ भूमि को भी हो रहा नुकसान
कंपनियां द्वारा किए जाने वाले ब्लास्टिंग के कारण आसपास के रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है. साथ ही कंपनियों से निकलने वाले जहरीले रसायनों के कारण भी खेतों की जमीन बंजर होती जा रही है. ज्यादातर कंपनियां किसानों की जमीन खरीद रही है. वहीं बेबस किसान अपनी जमीन बेचने को मजबूर हो रहे हैं.

लगातार घटता जलस्तर
पहले यहां 90 से 100 फिट पर आसानी से पानी मिल जाता था. लेकिन आज सीमेंट प्लांट की खदानों में गड्ढे में इतनी खुदाई की गई है कि क्षेत्र का सारा पानी उन खदानों में जाकर जमा हो जाता है. बारिश के दौरान भी वाटर रिचार्जिंग के लिए जमा होने वाला गहरी खदान में जमा होता है जिससे आस पास क्षेत्रों में पानी का लेवल बहुत डाउन हो गया है. आस पास के जल स्त्रोत में भी जलस्तर कम हो गया है. जिससे गर्मी के समय में पानी की किल्लत हो रही है.

घरों के बोरवेल का भी बुरा हाल
जल स्तर घटने से लोगों के घर के बोर सूखते जा रहे हैं. अधिकतर बोर की गहराई 400 फीट है और कुछ ऐसे बोर भी हैं जो मात्र 5 से 10 मिनट ही चल पाते हैं. वहीं लोगों को टैंकरों के सहारे पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं गर्मियों के दिनों में भी ये स्थिति बरकरार है. लोग घरों के बाहर निकल कर पानी के लिए भटकते नजर आते हैं.

प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
सीमेंट कंपनियां स्थापित होने के बाद से ही लगातार प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ जल स्तर घटता जा रहा है. वहीं प्रदूषण पर नियंत्रण भी नहीं हो रहा है. कंपनियों के सामने प्रशासन भी कमजोर दिखाई दे रहा है. एक ओर जहां पर्यावरण दिवस मनाने की बात चल रही है तो वहीं बलौदाबाजार में प्रदूषण की मार जनता झेल रही है.

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