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गिरौदपुरी दौरे पर रहेंगे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, गुरु दर्शन मेला में होंगे शामिल

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Published : Mar 17, 2021, 5:20 PM IST

बाबा गुरु घासीदास के जन्मस्थली में दर्शन मेला का आयोजन किया जा रहा है. मेला में पहले दिन छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल होने पहुंच रहे है.

Raman Singh will be involved in Guru Darshan fair,गिरौदपुरी धाम पहुंचेंगे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह
गिरौदपुरी धाम पहुंचेंगे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह

बलौदाबाजारःछत्तीसगढ़ केपूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह एक दिवसीय प्रवास दौरे पर 18 मार्च को गिरौदपुरी धाम पहुंचेंगे. तीन दिवसीय गुरु दर्शन मेला में रमन सिंह हिस्सा लेंगे. संत शिरोमणि परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी के चरणों में रमन सिंह मत्था टेंकेंगे.

रमन सिंह गिरौदपुरी मेला के समय कसडोल विश्राम गृह में रुकेंगे. जहां भोजन और अल्प विश्राम करते हुए कार्यकर्ताओं और पत्रकारों से भी मुलाकात करेंगे. इसके बाद रमन सिंह गिरौदपुरी धाम के लिए प्रस्थान करेंगे. गिरौदपुरी रेस्ट हाऊस में रुकने के बाद वे रायपुर के लिए निकल जाएंगे. वरिष्ठ नेताओं के आगमन को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है. पूर्व मुख्यमंत्री के स्वागत में जोरशोर से तैयारी चल रही है.

बीजेपी के नेता रहेंगे मौजूद

रमन सिंह के साथ भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नवीन मार्कण्डेय, बलौदाबाजार भाजपा जिलाध्यक्ष सनम जांगड़े सहित दूसरे वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहेंगे.

गिरौदपुरी धाम का इतिहास

गिरौदपुरी का आध्यात्म और इतिहास से बहुत गहरा नाता रहा है. यहां देश-विदेश से पर्यटक आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में आते हैं. बाबा गुरु घासीदास ने साधारण किसान परिवार में जन्म लिया था. इनके पिता का नाम मंहगू, माता का नाम अमरौतिन और पत्नी का नाम सफुरा था. जैतखाम के ठीक बगल में आज भी उनके बैठने का स्थान स्थापित है. ऐसा भी कहा जाता है कि आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए उन्होंने औराधरा वृक्ष के नीचे तपस्या की थी, जो अब तपोभूमि के नाम से प्रचलित है.

18 से 20 मार्च तक होगा गिरौदपुरी धाम गुरुदर्शन मेले का आयोजन

कुतुब मीनार से भी ऊंचा है छत्तीसगढ़ का जैतखाम

बाबा गुरु घासीदास की जन्मस्थली पर विशाल स्तंभ 'जैतखाम' का निर्माण किया गया है. यह स्तंभ दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ज्यादा ऊंचा है. यह स्तंभ कई किलोमीटर दूर से ही दिखने लगता है. सफेद रंग के इस स्तंभ का वास्तुशिल्प इतना शानदार है कि दर्शकों की आंखें इस पर ठहर जाता है. दिन ढलते ही दूधिया रोशनी में जैतखाम की भव्यता देखते ही बनती है.

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