रायपुर :छ्त्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर बाहरी राज्यों के अपराधियों के लिए जन्नत बन (Criminals from outside states active in Raipur) गया है. बाहर से आकर छत्तीसगढ़ में अपराधी हत्या,लूट, डकैती और चोरी जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. फिर आसानी से राज्य की सीमा से बाहर निकल जा रहे. कई मामलों में पुलिस को सफलता मिली है. लेकिन अधिकतर में हाथ खाली है. इसका सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है मुसाफिरी दर्ज ना होना. वहीं कई मामले ऐसे हैं जिसमे मकान मालिकों ने अपने किराएदार की जानकारी थाने में जमा नहीं की है. जिसका फायदा उठाकर अपराधी बड़ी वारदात करने के बाद नौ दो ग्यारह हो जा रहे हैं.
किरायेदार की जानकारी देना अनिवार्य :छत्तीसगढ़ पुलिस ने सभी मकान मालिकों को ये निर्देश जारी किए थे कि उनके यहां रहने वाले किराएदार की पूरी जानकारी ओरिजनल आईडी और एड्रेस प्रूफ के साथ थानों में जमा कराएं. लेकिन कुछ दिनों तक कुछ मकान मालिकों ने रूल फॉलो किया. लेकिन अब ना तो थानों में जानकारी दी जा रही और ना ही स्थानीय पुलिस इस मामले में कोई तेजी दिखाती है. जिसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं.
रायपुर में दो लाख किराएदार : राजधानी में करीब 2 लाख किराएदार निवासरत हैं. लेकिन थानों में महज 35 हजार की ही जानकारी है. ऐसे में 1 लाख 65 हजार किराएदार कहां से आए और कितने दिनों से रह रहे हैं. इसकी जानकारी पुलिस को भी (No information of tenants in Raipur) नहीं है. रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने हाल ही में राजपत्रित अधिकारियों की बैठक में लंबित मर्ग पर जल्द कार्रवाई करने के निर्देश दिए है, जिसके बाद मर्ग कायम किया जा रहा है.
पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक किराएदार वेरिफिकेशन की जांच और उनकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी एएसपी रैंक के अधिकारियों को दी गई है. एएसपी ने अधीनस्थों को थाना क्षेत्र में रहने वाले किरायेदारों की जानकारी जुटाने और उनका वेरिफिकेशन करने का निर्देश भी दिया है. लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा.
अभियान फिर हुआ फेल :रायपुर पुलिस अधिकारियों के अनुसार शहर में लगभग दो लाख किराएदार हैं. इन किरायेदारों की जानकारी जुटाने के लिए अगस्त 2021 को निर्देश जारी किया गया था. अक्टूबर 2021 तक प्रक्रिया पूरा करने की बात लिखी गई थी. समय निकल जाने के बाद किराएदार की जानकारी नहीं देने वाले मकान मालिकों पर कार्रवाई होनी थी. लेकिन इसके बाद भी मकान मालिकों ने किराएदार की जानकारी थाने में जमा नहीं करवाई. वहीं अब मकान मालिकों पर कार्रवाई करने में पुलिस के भी हाथ आगे नहीं बढ़ रहे हैं.