धमतरीः जिले का उड़ेना प्राथमिक स्कूल (Udna Primary School) अब उन स्कूलों में शामिल हो गया है जहां विभिन्न नवाचार और सामुदायिक प्रयासों से बड़े-बड़े स्कूलों को मात दे रहा है. यह संभव हुआ है यहां के प्रधान पाठक मनोज कुमार साहू (Manoj Kumar Sahu) के जूनून से. कभी यहां के बच्चे पानी और दलदल पार कर स्कूल जाया करते थे.
शिक्षक ने कैसे बदली स्कूल की तस्वीर? वहीं, शैक्षिणिक सुविधाओं का अभाव के अलावा साफ-सफाई का माहौल भी नहीं था. ऐसे में समय में प्रधान पाठक मनोज साहू ने लोगों की सहभागिता से कई प्रयास किए, जिसका नतीजा है कि अब स्कूल जिले में टॉप पर है. बच्चों की शैक्षणिक व्यवस्था में भारी सुधार हुआ है.
जन-सहयोग से हुए कई बदलाव
टीचर मनोज कुमार साहू बताते है कि उनकी 21 जुलाई 2008 को पहली पोस्टिंग उड़ेना स्कूल में हुई. जिसके बाद स्कूल की हालात देख कर उन्होंने इसे बदलने की ठानी. पालकों से लगातार संपर्क कर स्कूल में जन-सहयोग से कई बदलाव किए. मसलन शैक्षिणिक माहौल बनाने के लिए साफ-सफाई और गणवेश पर फोकस किया. शाला त्यागी बच्चों को स्कूल आने के प्रेरित किया. माताओं को विद्यालय से जोड़ने का काम किया और बच्चों को बुनियादी शिक्षा की जानकारी देने के प्रेरित किया. खेल-खेल के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा दिया. कमजोर बच्चों के लिए अतिरिक्त क्लासें लगाई गई. वहीं, कबाड़ से सामान भी बनाने की बारिकी बच्चों को सिखाया गया. नतीजन, स्कूल में पढ़ाई के स्तर में सुधार आया. वहीं बच्चों की 95 प्रतिशत उपस्थिति होने लगी है.
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शैक्षिणिक व्यवस्था में आया सुधार
बताया जा रहा है कि स्कूल में कुल 5 टीचर हैं. वहीं, स्कूल की दर्ज संख्या 150 है. एक समय में तकरीबन 60 बच्चे स्कूल ही नहीं आते थे. शैक्षिणिक व्यवस्था में सुधार आने के कारण अब लगभग सभी बच्चें स्कूल आते हैं. इसके अलावा प्राईवेट स्कूलों के बच्चों ने भी दाखिला लिया है. कोरोना काल में भी यहां पढ़ाई प्रभावित नहीं हुई. 18 वालींटियर मोहल्ला क्लास में 10-10 बच्चों को पढ़ाई कराया. जिसकी मानीटिरिंग स्वयं प्रधान पाठक मनोज कुमार कहते रहे. उड़ेना स्कूल में हुए आमूल चूल बदलाव से बेहत्तर रिजल्ट देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि यहां रिजल्ट 80 प्रतिशत से ज्यादा है. टीचर मनोज साहू के इसी प्रयासों के चलते 2020 में उन्हें शिक्षा दूत का पुरस्कार भी मिल चुका है.