सुकमा : लड़ते रहे हम आखिरी दम तक, स्वीकार नहीं थी हमको हार, निशा हमारी शहादत के ढूंढो एक नहीं मिलेंगे हजार...ये पंक्तियां उन जवानों की शहादत पर लिखी गई हैं, जिन्होंने देश के विकास के लिए गांव में सड़क के लिए अपना जीवन ही दान दे दिया. सुकमा के बुर्कापाल में 24 अप्रैल 2017 के दिन ही सड़क सुरक्षा में लगे 25 जवान नक्सली हमले में शहीद हो गए थे.
24 अप्रैल ही के दिन नक्सलियों ने बस्तर की दूसरी सबसे बड़ी वारदात को अंजाम दिया था. बुर्कापाल नक्सली हमले में सड़क की सुरक्षा में निकले सीआरपीएफ 74वीं वाहिनी के 25 जवान शहीद हुए थे. सड़क आज भी नहीं बन पाई और शहादत के 730 दिन गुजर गए लेकिन यहां आज भी उस हमले के कहानी ये अधूरी पड़ी सड़क कहती है, जहां हमने अपने 25 जवानों को खो दिया था.
बारिश में बंद हो जाएगा दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग
दोरनापाल-जगरगुंडा के बीच 56 किलोमीटर की सड़क पिछले 40 वर्ष से अधूरी पड़ी है. जिले का 80 फीसदी इलाका नक्सलियों के कब्जे में हैं. मूलभूत सुविधाओं को तरसते सैकड़ों गांव आज भी शासन-प्रशासन की पहुंच से दूर हैं. वर्ष 2014 से एलडब्ल्यूई योजना के तहत पुलिस हाउसिंग बोर्ड द्वारा इस सड़क का निर्माण कराया जा रहा है लेकिन दोरनापाल से पुसवाड़ा तक करीब 22 किमी सड़क बनकर तैयार है. पुसवाड़ा से जगरगुंडा के बीच मिट्टी का काम कर छोड़ दिया गया है. बारिश के दिनों में इस सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है. बारिश हो जाए तो इस रोड से निकलना मुश्किल हो जाता है.