Muharram 2023: सीपर है शौर्य का प्रतीक, मोहर्रम के ताजिया जुलूस में बना आकर्षण का केंद्र.. 90 किलो का होता है वजन
पटना: मोहर्रम के ताजिया जुलूस के दौरान सीपर बनाने की प्रथा है, कई जगहों पर इसे सीपल भी बोला जाता है. मसौढ़ी के सबसे बड़े मुस्लिम अखाड़े का मोहल्ला मलिकाना है. जहां पर तकरीबन 20 सालों से सीपर बनाया जाता है. सीपर शौर्य का प्रतीक माना जाता है, जिसका वजन 90 किलो का होता है. अर्धचंद्राकार की आकृति में बहुत सारे तलवार और एक ढाल जैसा आकृति तैयार की जाती है. इसे प्रदर्शनी के तौर पर और उसको पकड़ कर लोग नाचते और घूमाते हैं. मोहर्रम के ताजिया जुलूस में सबसे ज्यादा दर्शकों के लिए सीपर आकर्षण का केंद्र बिंदु बना रहा. दरअसल सीपर के बारे में बताया जाता है कि कर्बला के मैदान में जब हजरत इमाम हुसैन शहीद हुए थे तो उनकी वीरगाथा और शौर्य के रूप में सीपर बनाया जाता है. जिसका उर्दू अर्थ में ढाल भी होता है, जिसमें बहुत सारे तलवार लगे होते हैं और जिसका वजन 90 किलो होता है. इसके बनाने के लिए उत्तर प्रदेश से कारीगर आते हैं. ऐसे में मसौढ़ी के मलिकाना मोहल्ले में तकरीबन 20 सालों से सीपर बनाया जाता है जो मसौढ़ी के लिए एक नायाब और आकर्षण का केंद्र बिंदु होता है. सीपर हर कोई नहीं बनाता है क्योंकि इसमें बहुत खर्च और मेहनत लगते हैं ऐसे में मोहर्रम को लेकर विभिन्न अखाड़ों में सीपर आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है.