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पश्चिमी चंपारण: पंडई नदी के कटाव से विलुप्त होने की कगार पर है महात्मा गांधी की कर्मभूमि

ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री महात्मा गांधी के मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में आए थे. उन्होंने वादा किया था कि, नदी के कटाव की स्थायी व्यवस्था करायी जाएगी. आपके गांव को बचाने का पूरा प्रयास किया जाएगा.

नदियों का कटाव लगातार बढ़ता हुआ

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Published : Jul 27, 2019, 7:17 PM IST

पश्चिमी चंपारण: जिले के भितिहरवा का गौनाहा क्षेत्र पंडई नदी के कटाव से विलुप्त होने की कगार पर है. पंडई नदी का रौद्र रूप बढ़ता ही जा रहा है. बेलवा पंचायत का मुरली भैरहवा, पिपरा, माधोपुर जैसे गांव इसकी चपेट में है. सरकार की तरफ से राहत कार्य के नाम पर तटों पर सैंड बैग रखवाया गया है. जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है.

सरकार के रवैये से ग्रामीणों में आक्रोश

खतरे में गांधी की कर्मभूमि
गौहाना क्षेत्र में नदी की धारा बढ़ती जा रही है. यह पूरा क्षेत्र पंडई नदी की आगोश में समाता जा रहा है. 2017 में इस नदी के विकराल रूप ने पूरे क्षेत्र की बनावट को तहस-नहस कर दिया था. उसी प्रकार एक बार फिर यह नदी कटाव कर रही है. जिससे ग्रामीणों में खौफ है. गौहाना क्षेत्र से ही महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन की शुरूआत की थी. यह उनके जीवन का पहला आंदोलन था. इसके साथ ही ये स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ल की जन्मभूमि भी है.

अपने वादे को भूल गए मुख्यमंत्री
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2017 में महात्मा गांधी के मूर्ति अनावरण कार्यक्रम आए थे. उन्होंने वादा किया था कि, नदी के कटाव की स्थायी व्यवस्था करायी जाएगी. आपके गांव को बचाने का पूरा प्रयास किया जाएगा. लेकिन यह वादा 2 सालो में अब तक पूरा नहीं हुआ है. आज भी ग्रामीण मुख्यमंत्री से गांव को बचाने की गुहार लगा रहे हैं.

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